गोपेश्वर (चमोली)। जल संस्थान और उत्तराखंड पेयजल संसाधन, विकास एवं निर्माण निगम की बीच समंवय के अभाव के चलते गोपेश्वरवासियों को सीवर सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में यहां लोगों को जल-मल के निस्तारण को लेकर स्थानीय लोगों को दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है।
बता दें नगर पालिका गोपेश्वर-चमोली में जलमल की निकासी के लिये नमामि गंगे योजना के तहत उत्तराखंड पेयजल संसाधन, विकास एवं निर्माण निगम की ओर से 29 करोड़ की लागत से सीवर योजना का निर्माण किया गया है। योजना में जहां नौ करोड़ की लागत से नगर में सप्लाई लाइन का निर्माण किया गया है। वहीं 20 करोड़ की लागत से पांच एसटीपी टैंकों का निर्माण भी पूर्ण हो चुका है। लेकिन जल संस्थान और उत्तराखंड पेयजल संसाधन, विकास एवं निर्माण निगम के अधिकारियों के संयुक्त निरीक्षण न करने के चलते यहां उपभोक्ताओं के सीवर लाइनों का संयोजन शुरु नहीं हो सका है। ऐसे में यहां वर्षों पुरानी सीवर लाइन के बार-बार लीकेज होने से सड़कों और पैदल रास्तों पर जहां गंदा पानी बह रहा है। वहीं सुविधा से वंचित लोगों को जलमल के निस्तारण के लिये खासी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।
क्या कहते है अधिकारी
जल संस्थान के उच्चाधिकारियों को सीवर परियोजना का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद बीते मई माह में संयुक्त निरीक्षण कर योजना हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरु करने के लिये पत्राचार किया गया है। जिसके बाद भी लगातार मामले में पत्राचार किया जा रहा है। लेकिन वर्तमान तक विभाग की ओर से मामले में कोई कार्रवाई नहीं जा सकी है।
संदीप कुमार, सहायक अभियंता, उत्तराखंड पेयजल संसाधन, विकास एवं निर्माण निगम, चमोली।
गोपेश्वर और चमोली में निर्मित सीवर लाइन के हस्तांतरण के लिये संयुक्त निरीक्षण की प्रक्रिया शुरु की जा रही हैं। जल्द ही संयुक्त निरीक्षण कर फरवरी माह के अन्त तक उपभोक्ताओं के कनेक्शन संयोजन की प्रक्रिया शुरु कर दी जाएगी।
प्रवीण सैनी, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान, चमोली।