गोपेश्वर (चमोली)। नवम्बर 2021 के बाद से जोशीमठ क्षेत्र के तमाम भवनों के साथ ही भूमि, सड़क में भू धसाव सतत जारी है। जिससे जोशीमठ के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। जिसको देखते हुए सरकार को इसके बचाव के लिए व्यापक सर्वेक्षण किये जाने की आवश्यकता है।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती और प्रवक्ता कमल रतूड़ी ने शुक्रवार को जोशीमठ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि एक लंबे समय से जोशीमठ में भूधसाव जारी है। जिसके कारण यहां पर अधिकांश भवनों पर दरारे आ गई है। यही नहीं जोशीमठ जो जोड़ने वाली कई सड़कें भी  इस भूधसाव के चलते इनमें दरारेे आ रही है। जिसको लेकर कई बार सरकार और प्रशासन से जोशीमठ का व्यापक सर्वेक्षण किये जाने की मांग की जा रही है लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अनुरोध पर एक टीम ने जोशीमठ का सर्वे किया था जिसमें डा. रवि चोपडा, डा. नवीन जुयाल, डा. एसपी सती शामिल थे। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सात फरवरी 2021 में रैणी में आयी आपदा इसका एक बड़ा कारण है वहीं एनटीपीसी की टनल,  अनियोजित विकास कार्य भी जोशीमठ में हो रहे भूधसाव के लिए जिम्मेदार है। यही नहीं 1976 में मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जोशीमठ ग्लेशियरों से आयी मिट्टी के उपर स्थित है इसलिए यहां पर किसी भी बड़े बोल्डर के साथ छेडखानी किसी बड़ी आपदा को न्यौता देना है ऐसे में यहां पर हो रहे तमाम कार्यों से जोशीमठ का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस भूधसाव के कारण छावनी बाजार स्थित 25 से 30 भवन पूरी तरह से खतरे की जद में आ गये है यहां पर भवन रहने लायक  नहीं ऐसे में इन लोगों को विस्थापन की व्यवस्था  किये जाने की बात भी प्रशासन से की गई मगर अभी तक कई सुनवाई नहीं हो पायी। ऐसे में प्रतीत हो रहा है कि सरकार और प्रशासन किसी बड़ी अनहोनी होने का इंतजार कर रही है। उन्होंने बताया कि उन्होंने शुक्रवार को एक ज्ञापन तथा सर्वे रिपोर्ट सरकार को भेजी है जिसमें जोशीमठ को बचाने के लिए व्यापक सर्वे करने की मांग की गई है। इस मौके पर विकास जुगरान भी मौजूद थे।

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