बजट केद्रीय योजनाओं का प्रचार और शब्दजाल के अतिरिक्त कुछ भी नहीं हैःइंद्रेश मैखुरी
गोपेश्वर (चमोली)। भराड़ीसैण में आयोजित बजट सत्र के तीसरे दिन बुधवार को वित्त मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल ने प्रदेश का बजट पेश किया। जिस पर अपनी त्वरित टिप्पणी देते हुए भाकपा माले के प्रदेश सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि बजट केन्द्रीय योजनाओं का प्रचार और शब्दजाल के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
यह विडंबना है कि नकल विरोधी अध्यादेश का ढिंढोरा बजट में भी पीटा गया है, जिसका बजट से कोई संबंध नहीं है। नकल विरोधी अध्यादेश नकल पर नकेल कसने से ज्यादा नकल के खिलाफ आवाज उठाने वालों पर नकेल कसता है, लेकिन बजट से कोई संबंध नहीं होने के बावजूद बजट में उसका गुणगान है।
यह भी विडंबना है कि बजट में नौकरियों में घोटाले पर नकेल कसने की बात वो बजट में उठा रहे हैं, जिन्होंने विधानसभा अध्यक्ष रहते विधानसभा में बैकडोर से नियुक्तियां की। इससे अधिक शर्मनाक क्या हो सकता है कि ऐसे व्यक्ति पर कार्यवाही के बजाय उन्हें वित्त मंत्री के पद से नवाजा गया है और वे राज्य का बजट पेश कर रहे हैं। बरसों-बरस से की जाती शाब्दिक लफ्फाजी युवा नौकरी मांगने वाला नहीं देने वाला बने पुनः बजट में दोहराई गयी है। हकीकत यह है कि युवाओं की नौकरियों की लूट राज्य सरकार की नाक के नीचे की जा रही है, जिसमें सत्ताधारी पार्टी के लोग शामिल हैं। युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर केवल ऋण देने की योजनाएं ही तजवीज की जा रही हैं।
शिक्षा के नाम पर प्राइमरी विद्यालों को फर्नीचर उपलबद्ध कराने की योजना की घोषणा की गयी है, लेकिन अहम सवाल तो है कि प्राइमरी स्कूलों पर ताला लगना कैसे रुकेगा, इसका क्या इंतजाम क्या होगा, इसका कोई जवाब नहीं है। बजट में अनुपूरक पोषाहार कार्यक्रम का जिक्र किया गया है। जमीनी हकीकत यह है कि बीते एक दिसंबर से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत धात्री महिलाओं और आंगनबाड़ी जाने वाले बच्चों को मिलने वाला टेक टु होम राशन बंद हो गया है। अब केवल मंडुवा मिल रहा है, जो आंगनबाड़ी की पर्ची पर सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों से मिल रहा है। नंदा गौरा योजना का जिक्र बजट में है, लेकिन जमीनी यथार्थ यह है कि यह छात्रवृत्ति हासिल करने की प्रक्रिया बेहद जटिल बना दी गयी है। कृषि को विकास यात्रा का प्राथमिक बिंदु बजट कहता है, लेकिन पर्वतीय कृषि पूरी तरह से तबाह होने के कगार पर पहुंच गयी है. उसके उन्नयन, संवर्द्धन की कोई योजना सरकार के पास नहीं है। मैदानी क्षेत्रों में भी किसान बदहाल है।
वित्त मंत्री के बजट भाषण का बिंदु संख्या 113 कहता है कि “देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, रूड़की, हल्द्वानी, भगवानपुर एवं अल्मोड़ा का मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार करने की कार्यवाही विभिन्न चरणों में गतिमान है.” स्मार्ट सिटी बनाने का ढ़ोल पीटते हुए लगभग एक दशक होने को है, लेकिन शहर कितने स्मार्ट बने यह वित्त मंत्री के बजट भाषण का यह बिंदु बता रहा है कि अभी भी राज्य के प्रमुख शहरों का ड्रेनेज प्लान ही बन रहा है। जब सरकार बजट में निजी क्षेत्र के औद्योगिक आस्थानों की स्थापना की बात कह रही है तो श्रमिकों के अधिकारों पर यह हमला और तेज होगा। कुल मिला कर राज्य पर कर्जे का बोझ निरंतर बढ़ रहा है, उससे उबरने की कोई ठोस नीति और दृष्टि सरकार के पास नहीं है और उत्तराखंड सरकार भी केंद्र सरकार की तर्ज पर केवल प्रचार करने और गाल बजाने को ही एकमात्र कार्यभार समझती है।
उत्तराखंड का वर्तमान बजट सर्व स्पर्शीः रघुवीर बिष्ट
बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में वित्त मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने जनकल्याणकारी बजट उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण भराड़ीसैंण विधानसभा में प्रस्तुत किया। इस बजट से जहां पिछले वित्तीयवर्ष से कहीं अधिक धन राशि का प्रावधान रखा गया है। वर्तमान बजट में जन कल्याणकारी योजनाओं को अधिक महत्व दिया गया है। जैसे समाज कल्याण, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, पेयजल, ऊर्जा विभाग, कृषि विभाग सिंचाई विभाग, अटल आयुष्मान योजना, उद्यान विभाग, लोक निर्माण विभाग, आदि विभागों के बजट में बढ़ोतरी कर उत्तराखंड की विकास दर बढ़ेगी, वहीं बेरोजगारों के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, उद्यानिकरण, गौरा देवी कन्या धन योजना और वृहद निर्माण के लिए भारी-भरकम राशि का प्रावधान करना यह दर्शाता है कि भारतीय जनता पार्टी की उत्तराखंड की सरकार सभी वर्ग समुदाय एवं क्षेत्रों का समान रूप से विकास करना चाहती है। इतना ही नहीं वर्तमान बजट में जोशीमठ भूस्खलन के लिए अलग से एक हजार करोड़ रुपए का प्रावधान यह दर्शाता है कि पुष्कर धामी के नेतृत्व वाली सरकार आपदा ग्रस्त क्षेत्र के प्रभावितों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है वही यह बजट पूर्ण समावेशी एवं समाज के हर वर्ग को लाभ देने वाली है। उत्तराखंड के विकास के लिए वर्तमान बजट मील का पत्थर साबित होगी।