गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले के तपोवन-रैणी में हिमप्रलय में एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना के मजदूरों के लापता व मृत्यु को लेकर एनटीपीसी पर पुख्ता सुरक्षा इंतजाम न किये जाने का आरोप लगाते हुए इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किये जाने को लेकर भाकपा माले ने एक अर्जी कोतवाली जोशीमठ को भेजी है।

भाकपा माले के राज्य कमेटी के सदस्य अतुल सती व गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने बताया कि तपोवर-रैणी में हुए हिम स्खलन  में एनटीपीसी की ओर से बनाई जा रही तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना के बैराज तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट लगे। आपातकालीन स्थितियों में यह समयावधि इतनी है कि खतरे की चेतावनी दी जा सके और लोगों की प्राण रक्षा की जा सके, लेकिन यह बेहद अफसोसजनक बात है कि तपोवन में परियोजना निर्माता कंपनी एनटीपीसी की ओर से ऐसे खतरों से निपटने के कोई इंतजाम नहीं किए गए थे। यहां तक कि खतरे की सूचना देने के लिए कोई साइरन या हूटर तक नहीं लगाया गया था।  बैराज साइट पर सीढ़ियां या रस्से नहीं थे, जिनका प्रयोग करके लोग प्राण बचा सकते। सुरंग के अंदर भी आपातकालीन स्थितियों के लिए सुरक्षा इंतजाम और ऑक्सीजन सप्लाई का कोई व्यवस्था नहीं थी। इस तरह के बंदोबस्त किए गए होते तो मजदूरों व अन्य कार्मिकों के प्राण बचाए जा सकते थे और भारत सरकार व उत्तराखंड सरकार की बड़ी धनराशि व संसाधन खोज अभियान पर खर्च नहीं होते। उन्होंने कहा कि उत्तराखं डमें 2013 में आयी भीषण बाढ़ के बाद भी एनटीपीसी ने सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किये।

उन्होंने कहा कि सुरक्षा के इंतजाम न किया जाना गंभीर आपराधिक लापरवाही है।  2013 की आपदा के बाद माउच्चतम न्यायालय की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति ने भी पूर्व चेतावनी तंत्र समेत सुरक्षा के बंदोबस्त करने का निर्देश दिया था, परंतु उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का भी खुला उल्लंघन किया गया। इन सभी तमाम बातों को देखते हुए तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना की निर्माता कंपनी एनटीपीसी के विरुद्ध मजदूरों की जान लेने के अपराध के लिए सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाने को लेकर एक अर्जी कोतवाली प्रभारी जोशीमठ को भेजी गई है।

 

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