देहरादून। पहाड़ी आर्मी संगठन के संस्थापक अध्यक्ष हरीश रावत ने मीडिया को बयान जारी करते हुए कहा कि प्रदेश में पहाड़ियों की कहीं भी सुनवाई नहीं है बारी-बारी से राजनीतिक पार्टियों ने पहाड़ को लूटने के लिए नीतियां बनाई है उन्होंने कहा प्रदेश में सत्तासीन दलों ने मूल निवास के विषय में भारत के संविधान को भी ताक में रखा हुआ है भारत गणराज्य के प्रत्येक राज्य में मूल निवास की कट ऑफ डेट 26 जनवरी 1950 है तो फिर पहाङीयो को क्यों ठगा जा रहा है. मूल निवास , भू कानून समन्वय समिति को समर्थन देते हुए कहा कि पहाड़ियों के स्वाभिमान, संस्कृति ,अस्मिता के लिए यह आंदोलन जरूरी है और हम सब मिलकर प्रदेश के प्रत्येक युवा संगठन, छात्र संगठन संगठन ,सामाजिक संगठन महिलाओं ,बहनों बुद्धिजीवियों को आंदोलन का नेतृत्व करने का आवाहन करेंगे और अपने स्वाभिमान के लिए एकजुट होंगे 15 जनवरी उत्तरायण के दिन बागेश्वर सरयू बगड़ से कुमाऊं में इस जन आंदोलन की शुरुआत होगी कुली बेगार की कुप्रथा को हमारे पूर्वजों ने यही से समाप्त किया उसी से प्रेरित होकर सभी आन्दोलनकारी हजारो की संख्या में एकजुट होकर स्थाई निवास प्रमाण पत्रों की पृत्तिया सरयू नदी में प्रवाहित करेंगे और संकल्प लेंगे जब तक पहाड़ियों को उनके हक नहीं मिल जाता आंदोलन अनवरत चलता रहेगा।

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