गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में शनिवार को हिमाद समिति के तत्वावधान में आयोजित एक बैठक में राजीव गांधी फाउडेशन के सदस्य  जीत सनवाल ने  कहा कि मानव जीवन में वनों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है बगैर जल, जंगल, जमीन के जीवन असम्भव है। जिसे संरक्षित करने की आवश्यकता हैं, जिसमें वनपंचायत संरपंचों की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

जीत सनवाल ने कहा कि प्राचीन समय से ही मिलजुल कर कार्य करने की परम्परा काफी मजबूत रही है। चाहे वह कृषि संबंधित कार्य हो या किसी भी प्रकार का पारवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक कार्य हो इनमें परस्पर सहभागिता होनी आवश्यक है। तभी सकारात्माक परिणाम प्राप्त हो सकते है। साथ ही सामूहिक रूप से कार्य करनी की भावना एंव जरूरत हमें परिवार, गांव, और समाज में समूह बनाकर रहने के लिए हमें प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय जिलों में वन पंचायत व्यवस्था सामुदायिक वन प्रबनधन की एक अनूठी व्यवस्था है जो जीविका एवं जीवन के लिए सीधे वनों पर निर्भर समुदायों के पारम्परिक और प्रथागत अधिकारों को मान्यता देती है। ये पंचायतें वनों की सुरक्षा, वनीकरणा, वन संवर्द्वन के साथ-साथ वनाग्नि, अतिक्रमण और अवैध शिकार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

राजीव गांधी फाउंडेशन के डा. विशाल मैसी ने कहा कि जंगल के प्रबन्धन के लिए 1976 में  राज्य सरकार ने भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 28 के तहत वन पंचायत के लिए नये नियम जारी किये। नये नियमों के तहत वन पंचायतों की स्वायत्ता खत्म कर उन्हें ग्राम वन के रूप में अधिसूचित किया गया। नियमों में इस बदलाव ने राज्य के वन विभाग को पंचायती वनों के प्रबन्धन के लिए नियम और शर्तें निर्धारित करने का अधिकार दिया, जिसमे वन पंचायत के वनों के नियोजन, प्रबन्धन ओर संरक्षण से संबंधित सभी शक्तियां राज्य वन विभाग ने अपने हाथ में ले ली।

हिमाद के सचिव उमाशंकर बिष्ट ने कहा कि 2001 और 2005 में फिर से इन नियमों में संशोधन हुए हैं। हाल में हुए इन संशोधनों ने स्थानीय ग्रामीणों के वन प्रबंधन, संरक्षण और वन से प्राप्त लकडियों के वितरण और लोगों के वन उत्पादों और सेवाओं तक पहुंचने की शक्ति को कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि वन पंचायत सरपंचों का गांव स्तर पर अपने हक हकूकों को कायम रखने के लिए प्रयासारत रहना होगा तथा सरपंच संगठन को हकों की लड़ाई के लिए आगे आना होगा। बैठक में हिमाद से प्रभा रावत, माला नेगी, पंकज पुरोहित, दीपक नेगी, वन पंचायत सरपंच पुष्कर सिंह बिष्ट, दर्शन लाल, जवाहर सिंह, देवेश्वरी नेगी आदि ने अपने विचार रखे।

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