अब तक डेढ़ सौ से अधिक बालिकाओं की शिक्षा दीक्षा करवा चुके है गुरूजी

पोखरी (चमोली)। सरकारें भले ही बालिका शिक्षा को लेकर कई कार्यक्रम चला रही हो मगर धरातल पर इसकी हकीकत क्या है यह किसी से छिपी नहीं है। मगर इससे अलग हटकर बच्चों को पढ़ाने के साथ ही स्वयं के खर्चे पर गरीब बालिकाओं की शिक्षा दीक्षा करवा कर बालिका शिक्षा को आगे  बढ़ाने की जो मशाल पेड़वाले गुरूजी की जलायी है वह अपने आप में एक अनुठी मिशाल है। बालिका दिवस के अवसर पर पेड़वाले गुरूजी धनसिंह घरिया ने 10 गरीब बालिकाओं की शिक्षा का खर्च उठाने का संकल्प लिया है। अब तक गुरूजी डेढ सौ से अधिक बालिकाओं को इंटर मीडिएट तक की शिक्षा अपने खर्च पर पूरी करवा चुके है।

पेड़वाले गुरूजी धन सिंह घरिया चमोली जिले के पोखरी विकास खंड के सुदुरवर्ती राजकीय इंटर काॅलेज गोदली में राजनीति विज्ञान के प्रवक्ता के पद पर तैनात है। 2006 से यहीं पर रह कर बच्चों को पढ़ा रहे है। गु  रूजी हर वर्ष दस बालिकाओं को इंटर तक की पढ़ाई का खर्च स्वयं वहन करते है। गुरूजी बताते है कि यह कार्य उन्होंने 2013 की आपदा के बाद से नियमित रूप से शुरू किया है हालांकि इससे पहले भी वे गरीब बालिकाओं की पढ़ाई के लिए छुटपुट तौर पर सहयोग किया करते थे लेकिन 2013 के बाद से उन्होंने हर वर्ष 10 बालिकाओं की पढ़ाई का खर्च उठाने का संकल्प लिया जो सतत जारी है। वे बताते है कि अब तक वे डेढ सौ से अधिक छात्राओं को पढ़ा चुके है। इसके अलावा गुरूजी पर्यावरण के क्षेत्र में भी कार्य कर गांव वालों को इसके प्रति जागरूक करते रहते है। इसी लिए उन्हें पेड़वाले गुरूजी के नाम से भी क्षेत्र में जाना जाता है। घरिया का इंटर कालेज गोदली से कई बार अन्यत्र स्थानांतरण भी हुआ लेकिन गुरूजी ने यहीं रह कर बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लिया और अपना स्थानांतरण निरस्त करवाया है। जो कि अपने आप में एक मिशाल है। बालिका दिवस के असवर पर राइका गोदली में आयोजित कार्यक्रम में गुरूजी ने दस बालिकाओं की पढ़ाई का जिम्मा लिया है। और उन्हें कापी, किताबें भी दी गई। इस मौके पर पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य माहेश्वरी देवी, प्रदीप बिष्ट, मनबर सिंह नेगी, शकुंतला चैहान, नवीन सिंह, मोबिन अहमद आदि मौजूद थे।

 

इन बालिकाओं की पढ़ाई का लिया जिम्मा

बालिका दिवस के अवसर पर गोदली क्षेत्र की जिन दस बालिकाओं की पढ़ाई का जिम्मा पेड़वाले गुरूजी ने लिया है उसमें प्राजंलि, इंदू, जमूना, शिवानी, रविना, मोनिका, सरिता, पूनम व रूद्रा शामिल है।

 

 

घर-घर जाकर मांगते है किताबे और कपड़े

पेड़वाले गुरूजी जब भी स्कूल में अवकाश रहता है और उनको शहर में आने का मौका मिलता है तो वे लोगों के घरों में जाकर लोगों से उनके बच्चों की पुरानी किताबे, कपड़े मांग कर एकत्र करते हैं और उन्हें क्षेत्र के गरीब बच्चों में बांट देते है। गुरूजी का कहना है कि लोग किताबों को पढ़ने के बाद रद्दी में बेच देते है जबकि यही किताबे गरीब बच्चों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसलिए वे लोगों से ऐसी किताबों को एकत्र कर गरीब बच्चों में बांट देते है ताकि उनके काम आ सके।

 

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