गोपेश्वर (चमोली)। उत्तराखंड में जंगलों के लिये अभिशाप बना पिरुल अब स्थानीय ग्रामीणों की आजीविका का आधार बन सकेगा। इसके लिये यहां केदारनाथ वन प्रभाग की ओर से पिरुल से साजवटी सामान बनाने की योजना शुरु कर दी है। प्रभाग की ओर से योजना के संचालन के लिये इन दिनों दशोली ब्लॉक की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यदि सब कुछ योजना के अनुरुप चला तो आगामी मार्च माह तक महिलाओं की ओर से तैयार पिरुल के उत्पाद चमोली के बाजार में उपलब्ध हो जाएंगे।
चमोली जिले में बड़े पैमाने पर चीड़ के जंगलों से पिरुल उपलब्ध होता है। ऐसे में केदारनाथ वन प्रभाग की ओर से जहां पिरुल से कोयला बनाने का कार्य किया जा रहा है। वहीं इसी क्रम में जंगलों के लिये अभिशाप बने पिरुल का आय का साधन बनाने के लिये यह योजना तैयार की गई है। जिसके लिये इन दिनों अल्मोड़ा से आई प्रशिक्षक मंजू शाह की ओर से दशोली ब्लॉक के 15 गांवों की 25 महिलाओं पिरुल से घरेलू उपयोग की वस्तुएं और सजावटी सामान बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विभाग की योजना के अनुसार प्रथम चरण में महिलाओं को प्रशिक्षण देने के बाद महिला समूह का गठन कर उत्पाद तैयार किये जाएंगे। वहीं उत्पादों के विपणन के लिये विभाग की ओर से आउलेट तैयार का उत्पादों को बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा।
चमोली में महिला समूहों के माध्यम से पिरुल को उपयोगी बनाने की योजना बनाई गई है। जिसके तहत यहां महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं महिलाओं की ओर से तैयार सामग्री की विपणन के लिये भी व्यवस्था बनाई जा रही है। जिससे उत्पादन के बाद महिलाओं को सामग्री को बेचने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
अमित कंवर, डीएफओ, केदारनाथ वन प्रभाग, चमोली।