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गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले की निजमूला घाटी में रविवार को सरकार की सड़क और स्वास्थ्य को लेकर दूरस्थ गांवों में व्यवस्था की पोल खुल गई है। यहां घाटी के भनाली गांव की प्रसूता का प्रसव पैदल रास्ते पर हो गया है। हालांकि प्रसव के बाद प्रसूता और नवजात स्वस्थ हैं। लेकिन गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर घटना के बाद सरकारी प्रयास सवालों के घेरे में हैं।

निजमूला घाटी की ग्राम पंचायत ईराणी के भनाली गांव निवासी मुकेश राम की 24 वर्षीय पत्नी मीना को रविवार को प्रसव पीड़ा शुरु हो गई। प्रसूता की स्थिति बिगड़ती देख ग्रामीणों ने पालकी के सहारे महिला को चिकित्सालय पहुंचाने के लिये कंधों पर ढोकर चिकित्सालय लाने की योजना बनाई। गांव से दो किलोमीटर की दूरी पार करने के बाद मीना की प्रसव पीड़ा को बढता देख महिलाओं ने ग्वादिक गदेरे में उसका सुरक्षित प्रसव कराया। जिसके बाद ग्रामीण प्रसूता और नवाजात को वापस गांव ले गये हैं। स्थानीय निवासी रणजीत कुमार, हिंवाली देवी, जेठुली देवी, हेमा देवी, गुड्डी देवी, सुला देवी, गणेशी देवी का कहना है कि गांव में सड़क और स्वास्थ्य की सुविधा न होने से जहां प्रसव के दौरान महिलाओं को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। वहीं नियमित जांच भी गर्भवती महिलाओं के लिये किसी चुनौती से कम नही हैं।

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