गोपेश्वर (चमोली)। कांग्रेस के पूर्व विधायक व पूर्व काबीना मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि चमोली जिले के तपोवन-रैणी में आयी आपदा के बाद से तपोवन में युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं की ओर से भंडारे का आयोजन किया जा रहा था। सात दिनों तक लगातार भंडारे के बाद आठवें दिन युवा कांग्रेस के भंडारे को जबरन बंद कराया जाना और अन्य राजनैतिक दलों के भंडारे को यथावत रखना यह राजनैति विद्वेष की भावना को दर्शाता है।
मंगलवार को गोपेश्वर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आपदा में उनकी पार्टी सरकार के साथ खड़ी है। इस संकट की घड़ी में किसी प्रकार की राजनीति नहीं की जानी चाहिए और सभी को राजनीति छोड़कर संकट से उभारने के लिए कार्य करना चाहिए लेकिन जब सरकार राजनैतिक विद्वेष की भावना से कार्य करे तो यह निंदनीय है। भंडारी ने कहा कि पहले दिन से वे स्वयं आपदा प्रभावित क्षेत्र में रहकर युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ लोगों को भोजन, पानी की व्यवस्था कर रहे थे लेकिन आठवें दिन ऐसा क्या हुआ कि उनके भंडारे से लोगों को परेशानी होने लगी। इससे साफ जाहिर है कि आपदा में लापता लोगों को सरकार व उसका प्रशासन समूचित व्यवस्था नहीं कर पा रहा था और ऐसे में युवा कांग्रेस की हर तरफ सराहना हो रही थी जिससे बौखला कर उनके भंडारे को ही बंद करवाया गया। जबकि उसी स्थान पर भाजपा का भंडारा खोल दिया गया है। अब इसे राजनैति विद्वेष की भावना नहीं समझा जाए तो क्या कहा जा सकता है। इस मौके पर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह रावत, प्रदेश महामंत्री हरिकृष्ण भट्ट, अरविंद नेगी, महेंद्र नेगी, मीडिया प्रभारी रविंद्र सिंह नेगी, हरेंद्र राणा, संदीप भंडारी, योगेंद्र सिंह बिष्ट, ओमप्रकाश नेगी, तेजवीर कंडेरी, धीरेंद्र गरोडिया आदि मौजूद थे।
पहाड़ में बड़े सुरक्षा मानक व भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर बने
पूर्व काबीना मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि पहाड़ में बडे़ बांध आपदाओं को न्यौता दे रहे है। इस लिए इनकों यहां की भौगोलिक स्थिति व सुरक्षा मानको को ध्यान में रखकर बनाया जाना चाहिए। उन्होंने तपोवन व रैणी परियोजनाओं को ही वहां पर आपदा के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने इसके लिए सरकार के मांग की है कि इस गलती के लिए परियोजना प्रबंधकों पर कार्रवाई की जानी चाहिए साथ ही प्रत्येक पीडित परिवार को 15 से 20 लाख का मुआवजा व पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होते तो लोगों को मरने से बचाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि हम ऐसे बांधों का विरोध करते है और उत्तराखंड में बन रहे बड़े बांधों की सुरक्षा के मानकों की जांच की मांग करते है।