गोपेश्वर (चमोली)। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि सरकारों ने उत्तराखंडियों के वनों पर अधिकार तो समाप्त किये मगर उसके एवज दिया कुछ नहीं। ऐसे में वनों पर आधारित तमाम व्यवसाय समाप्त हो गये है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि उत्तराखंडियों के वनों पर पुश्तैनी अधिकार बहाल किये जाए। 

रविवार को चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए किशोर उपाध्याय ने कहा कि चिपको आंदोलन से जुड़े लोगों को सरकार ने ऐसा कोई सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार थे। वनाधिकार अधिनियम तो बनाया लेकिन वनों पर आधारित व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए उसके एवज में कोई व्यवस्था नहीं की गई। उन्होंने कहा कि आज भी यहां के लोग पर्यावरण की रक्षा करते आ रहे है लेकिन उसका उन्हें लाभ नहीं मिल रहा है। ग्रीन बोनस दिये जाने की बात तो की जा रही है मगर धरातल पर कुछ नहीं है।

उन्होंने सरकार से मांग की है कि उत्तराखंड के लोगों को केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की जाए, प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए, प्रत्येक परिवार को प्रतिमाह एक गैस सिलेंडर, बिजली, पानी निशुल्क दिया जाए, जड़ी बुटियों पर स्थानीय समुदाय का अधिकार हो, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाऐं निशुल्क हों, एक यूनिट आवास बनाने के लिए लकड़ी, बजरी व पत्थर निशुल्क दिया जाए, जंगली जानवरों से जनहानि पर 25 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति के साथ एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए, जंगली जानवरों से फसल के नुकसान पर प्रतिनाली पांच हजार रुपये की क्षतिपूर्ति दी जाए तथा राज्य में अविलंब चकबंदी व्यवस्था शुरू की जाए। ताकि वनों पर अधिकार समाप्त करने से लोगों को जो असुविधा हो रही है उससे यहां के लोगों को निजात मिल सके।

उन्होंने आमजन मानस से अपील की आने वाले विधान सभा चुनाव में इन मुद्दों पर ही लोग अपने विधायकों को चुने ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। इस मौके के पर नगर पालिका अध्यक्ष सुरेंद्र लाल, पूर्व राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी, आनंद सिंह पंवार, अरविंद नेगी, योगेंद्र सिंह बिष्ट, ओमप्रकाश नेगी, प्रमोद बिष्ट, संदीप भंडारी, तेजवीर कंडेरी, रविंद्र सिंह नेगी आदि मौजूद थे।

 

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