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जोशीमठ (चमोली)। बदरीनाथ यात्रा के पैदल मार्ग पर विष्णुप्रयाग में रैंणी-तपोवन आपदा के दौरान क्षतिग्रस्त पैदल पुल के निर्माण को लेकर लोनिवि के अधिकारी असमंजस में हैं। विभागीय अधिकारियों की माने तो पुल से आबादी के लाभांवित न होने के चलते पुल निर्माण की स्थिति वर्तमान तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। जबकि हाथी पर्वत पर बदरीनाथ हाईवे के बाधित होने पर यह पुल बदरीनाथ यात्रा का एकमात्र साधन है।

बता दें कि बीते वर्ष सात फरवरी को ऋषिगंगा नदी में आई बाढ से विष्णुप्रयाग में बदरीनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर बना पैदल पुल पानी के सैलाब से क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसके बाद शासन और जन प्रतिनिधियों की ओर से पुल के सुधारीकरण की बात कही गई थी। लेकिन एक वर्ष बाद भी शासन की ओर से पुल निर्माण की स्वीकृति नहीं दी गई है। जिससे यहां पुल का निर्माण कार्य शुरु नहीं हो सका है। गौरतलब है कि बरसात के मौसम में हाथी पर्वत पर बदरीनाथ हाईवे के बाधित होने पर इस पैदल मार्ग से तीर्थयात्रियों व स्थानीय लोगों की आवाजाही करवाई जाती है, वहीं जोशीमठ के नर्सिंग मंदिर, गांधी नगर, कम्द, गोरंग गांवों के ग्रामीण चारा पत्ती के लिये भी इस पैदल मार्ग से आवाजाही करते हैं। ऐसे में अगर पुल का निर्माण नहीं किया जाता तो जहां यात्राकाल में बदरीनाथ हाईवे बाधित होने पर तीर्थयात्रियों की आवाजाही जहां पूरी तरह से बाधित हो जाएगी। वहीं ग्रामीणों को जंगल तक जाने के लिये छहे किमी की अतिरिक्त पैदल दूरी तय करनी पड़ रही है। स्थानीय निवासी सूरज सकलानी, दुर्गा प्रसाद सकलानी, चंद्रमोहन नामण, प्रदीप भट्ट और विजय डिमरी का कहना पुल बदरीनाथ यात्रा के लिये महत्वपूर्ण है। जिसे समय से दुरुस्त न करने पर यात्राकाल में प्रशासन को भी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

 

रैंणी-आपदा के बाद विष्णुप्रयाग पुल के निर्माण का प्रस्ताव शासन को स्वीकृति के लिये भेजा गया था। लेकिन वर्तमान तक शासन की ओर से पुल निर्माण के लिये कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। जिसके चलते पुल का निर्माण की प्रक्रिया शुरु नहीं हो सकी है।

ज्ञानेंद्र चैधरी, सहायक अभियंता लोनिवि, गोपेश्वर, चमोली।

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