जोशीमठ (चमोली)। भाकपा माले ने उप जिलाधिकारी जोशीमठ के माध्यम से एक ज्ञापन मुख्यमंत्री उत्तराखंड को भेज कर मांग की है कि जोशीमठ में ऋषिगंगा और धौलीगंगा में जल प्रलय से हुए नुकसान के बाद चल रहे राहत और बचाव कार्य को व्यापक स्तर पर चलाये जाने की मांग की है।
भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी व राज्य कमेटी के सदस्य अतुल सती ने कहा कि धौलीगंगा पर तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना के बैराज साइट के निकट मलबे से भरी हुई सुरंग को खाली करके उसमें फंसे हुए मजदूरों को ढूंढने का अभियान दो दिन से चल रहा है। मजदूरों को ढूंढने के इस अभियान को जारी रखा जाना चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि उस सुरंग के इतर भी बहे हुए लोग हैं, जिन्हें ढूंढने की कोशिश नजर नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि सुरंग के बाहर जमा मलबे के ढेर से लेकर ऋषिगंगा के बह चुके मलबे के ढेर तक और नदी तटों पर पानी के बहाव की चपेट में आए मजदूरों और स्थानीय लोगों की तलाश की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि खोज अभियान को व्यापक किया जाये और अधिकतम लोगों को तलाशने की हर मुमकिन कोशिश की जाये।
उनका कहना है कि उत्तराखंड सरकार की ओर से मृतकों के आश्रितों को चार लाख रुपया और केंद्र की ओर से दो लाख रुपया मुआवजा देने की घोषणा की गयी। इस तरह दी जाने वाली कुल मुआवजा राशि छह लाख रुपया होती है। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह की ओर से 20 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की गयी है, लेकिन यह राशि सिर्फ एनटीपीसी के कार्मिकों के लिए है। इसलिए बड़ा हिस्सा इस दायरे से बाहर है। उनका कहना है कि 2013 की आपदा में दी गयी मुआवजा राशि सात लाख रुपया थी और उसके सात साल बाद इस भीषण जल प्रलय का शिकार हुए लोगों को एक लाख रुपया कम राहत राशि दी जा रही है। यह अफसोसजनक बात है। सरकार से मांग है कि प्रत्येक मृतक के परिवार को 50 लाख रुपया मुआवजे के तौर पर दिया जाये व मृतक के एक आश्रित को स्थायी एवं नियमित रोजगार दिया जाये। मजदूर एवं अन्य कार्मिक जो लापता हैं, उनकी तलाश में उनके परिजन जोशीमठ आए हुए हैं. इन तमाम लोगों के जोशीमठ में आवास एवं भोजन की व्यवस्था राज्य सरकार को स्थानीय प्रशासन के माध्यम से करवानी चाहिए। साथ ही लापता लोगों की ढूंढ-खोज संबंधी गतिविधियों से परिजनों को निरंतर अवगत कराने के लिए एक अधिकारी नामित किया जाना चाहिए, स्थानीय लोग जिनके संपर्क मार्ग कट गए हैं, उनके लिए संपर्क मार्ग बहाल करने के लिए तत्काल अस्थायी पुल आदि का इंतजाम किया जाये।