तपोवन (चमोली)। तपोवन-रैंणी आपदा में सात दिनों बाद भी लापता लोगों की जानकारी न मिलने पर परिजनों में आक्रोश पनपने लगा है। परिजन प्रशासन से सर्च अभियान को व्यापक रुप देते हुए बैराज और नदी तटों पर भी सर्च अभियान चलाने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बड़ी संख्या में यहां टनल के बाहर भी मजदूर और अधिकारी हादसे के वक्त मौजूद थे। ऐसे में अन्य लोगों की की खोजबीन के लिये नदी तट और बैराज साइड पर भी सर्च अभियान चलाना जरुरी है।

ढाक गांव निवासी यादवेंद्र डोभाल का कहना है कि उनक 20 वर्षीय पुत्र अमित डोभाल एनटीपीसी की सहायक कम्पनी रित्विक में सुपरवाइजर के पद पर तैनात था। हादसे के दिन वह अपने पिता के साथ सुबह सात बजकर 30 मिनट पर घर से निकला और हादसे के वक्त वह मजदूरों के साथ ही बैराज साइड पर कार्य कर रहा था। उन्होंने बताया कि सात फरवरी को उनको जब ऋषिगंगा का जल स्तर बढने की सूचना मिली तो उन्होंने तत्काल अमित को फोन कर सूचना दी। इस दौरान महज चार मिनट फोन से बात करने के बाद उसका फोन बंद हो गया और उसका सात दिनों बाद भी कोई सुराग नहीं मिल सका है। लेकिन प्रशासन की ओर से बैराज साइड में सर्च अभियान चलाने के लिये सात दिनों बाद काम शुरु करना प्रभावितों की उम्मीद को तोड़ रहा है। वहीं करछौं गांव के ग्रामीणों का कहना है कि ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट में कार्य करने वाले ग्रामीण कुलदीप और उसके 12 वर्षीय पुत्र आशु भी आपदा के बाद से लापता हैं। लेकिन प्रशासन की ओर से खोजबीन के लिये नदी के तटों पर खोजबीन नहीं की जा रही है। जिससे यहां अब आपदा में लापाता लोगों में निराशा के साथ आक्रोश देखने को मिल रहा है।

बैराज साइड में खोजबीन के लिये रास्ता बनाने का कार्य शुरु कर दिया गया है। बैराज साइड तक पहुंच मार्ग बनने के बाद यहां पम्प की मदद से गाद को निकालकर सर्च अभियान चलाया जाएगा।

स्वाती एस भदौरिया, जिलाधिकारी, चमोली।

 

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