हेमचंद्र मिश्रा
देवाल (चमोली)। चमोली जिले के देवाल विकास खंड का आपदा से प्रभिवत कुलिग गांव का विस्थापन तो सरकार ने गांव की सरहद के दिदिना तोक में कर दिया है, लेकिन ग्रामीणों को सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य, आंगनबाड़ी सहित मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते ग्रामीण आदम युग का सा जीवन यापन करने को मजबूर हैं। गांव तक पहुंचने से लिए मोटर मार्ग की सबसे बड़ी समस्या बनी है।
कुलिग गांव में 14 अगस्त 2019 को दैविक आपदा का कहर बरपाया था। गांव के नीचे से बह रहे गधेरे के कटाव से पूरा गांव ही भूस्खलन की चपेट में आ गया था। उसके बाद प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में कुलिग के 65 परिवारों को गांव की सरहद पर दिदिना तोक में प्रत्येक परिवार को बसाया है जो मूल गांव कुलिंग से छह किलोमीटर की पैदल चढ़ाई पर है। ग्रामीण अपनी आवश्यकता की वस्तुओं को को पीठ पर ढोह कर गांव तक ले जाते हे। दिदिना तोक के 15 बच्चे आंगनवाड़ी, प्राथमिक विद्यालय, जूनियर हाईस्कूल पढ़ने कुलिग गांव जाते हैं। विहड जंगली रास्तों से स्कूल आना जाना 12 किलोमीटर प्रतिदिन हो जाता है। जबकि ग्रामीणों ने स्कूल भवन के लिए पांच नाली भूमि शिक्षा विभाग के नाम रजिस्टरी कर दी है, लेकिन अभी भवन नहीं बना है। सड़क के अभाव में सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं को झेलनी पड़ती है। गांव में इलाज की कोई सुविधा नहीं है। ग्रामीण लगातार गांव में मूलभूत सुविधाओं के लिए लगातार संघर्षरत है, लेकिन गांव की समस्याएं जस की तस बनी है।
क्या कहते है जनप्रतिनिधि
कुलिग गांव के विस्थापन तो हुआ, लेकिन चार साल गुजरने के बाद भी कोई सुविधा नहीं मिल पाई है। कुलिग-दिदिना 10 किलोमीटर मोटर मार्ग और एक पुल 36 मीटर स्पान के लिए 478.98 लाख स्वीकृत हुआ है। लेकिन वन भूमि हस्तांतरण की फाइल वन विभाग के कार्यालय में घूम रही है।
हुक्कम सिंह बिष्ट, ग्राम प्रधान कुलिग-दिदिना देवाल।
क्या कहते है अधिकारी
दिदिना सड़क के लिए विभाग से सभी दस्तावेज तैयार कर लिए गए हैं, पिल्लर गाड़ दिए हैं, वन भूमि हस्तांतरण की फाइल वन विभाग को भेजी गई है, स्वीकृति के बाद सड़क निर्माण शुरू हो पाएगा।
विरेन्द्र सिंह बसेड़ा, सहायक अभियंता, लोनिवि थराली।
गढ़वाल वन संरक्षक ने चार जनवरी को इस मोटर मार्ग का समरेखण और डम्पिग स्थलों स्थलीय निरीक्षण किया गया है। उनके आदेशों के तहत वन भूमि हस्तांतरण की समस्त अभिलेखों की फाइल तैयार कर ली गई है उच्चाधिकारी को प्रेषित की जा रही है।
सर्वेश कुमार दुबे, डीएफओ बदरीनाथ वन प्रभाग, गोपेश्वर चमोली।