गोपेश्वर (चमोली)। उत्तराखंड के चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में बुधवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सहयोग से राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से परीक्षा पर्व 4.0 पर प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य, खंड शिक्षा अधिकारियों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि बदरीनाथ के विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि वर्तमान समय में बच्चों की देखरेख प्राइमरी स्तर से ही जरूरी है। तभी जाकर बच्चों को सही दिशा दी जा सकती है।

गोपेश्वर के राजकीय इंटर कालेज के प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यशाला में बोलते हुए विधायक ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी और अभिभावकों के बीच काफी अंतर आ गया है। वर्तमान पीढ़ी कंप्यूटरीकृत हो गई है जिससे वे हमारे जमाने की पढ़ाई को अपने से कम कर आंकते नजर आ रहे है। फिर भी हर अभिभावक का दायित्व है कि वह बच्चों पर नजर बनाये रखे और उनके साथ दोस्ताना व्यवहार बनाकर उनकी हर समस्या के समाधान करे ताकि वह गलत दिशा की ओर जाने से बच सके। उन्होंने कहा कि पहले के जमाने में मार्ग दर्शन की कमी थी उन्हें अपने सही दिशा निर्देशन नहीं मिल पाता था पढाई सिर्फ रोजगार पाने का एक जरिया था आज के युग में तमाम ऐसे कौचिंग सेंटर बन गये है जो आपको गाइड करते हुए आपके तारगेट तक पहुंचाने में बच्चों की मदद करते है।  

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सरकारी स्कूल भी प्राइवेट स्कूलों से कम नहीं है वहां पर सभी दक्ष शिक्षक बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर उन्हें कामयाबी की ओर ले जा रहे है इसलिए आवश्यकता है कि अभिभावक बच्चों को सरकारी स्कूलों में अधिक से अधिक भर्ती करें ताकि शिक्षा के प्रति शिक्षकों का ओर अधिक दायित्व बढ़ सके।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सचिव रूपाली बनर्जी सिंह ने कहा कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग बच्चों के अधिकारों के प्रति उन्हें सजग करने के साथ ही उनकी समस्याओं के समाधान के लिए भी पूरे देश भर में कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि अधिकांशतया देखा जाता है कि बच्चे परीक्षा के समय सबसे ज्यादा तनाव की स्थिति में रहते है। और ऐसी दशा में कई बार वे गलत कदम भी उठा लेते है। इसी को देखते हुए देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों से परीक्षा से पूर्व संवाद भी स्थापित किया था। इसी कडी में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से परीक्षा पर्व का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें बच्चों को परीक्षा की तैयारी करने के साथ ही उन्हें तनाव प्रबंधन को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है ताकि बच्चा परीक्षा के प्रति तनाव न लेकर उसे साल भर का एक पर्व समझ कर उसे खुशी-खुशी से पूरा करे।

इस मौके पर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष विनोद कपरूवाण ने कहा कि छात्रों पर शिक्षा के बोझ के साथ ही कैरियर चुनने का भी एक अतिरिक्त बोझ आ गया है जिससे वे मानसिंक तनाव में आ जाते है जिसे कम करने के लिए अभिभावकों के साथ ही शिक्षकों का भी बहुत बड़ी भूमिका है बच्चें के तनाव को कम करने और उसे परीक्षा के लिए बेहतर तैयारी करने के लिए टिप्स दिये जाने की आवश्यकता है। वर्तमान समय में आपकी परीक्षा में कितने अंक आते है यह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि आप अपने विषय को कितना अधिक जानते है यह जरूरी है। कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये।

इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी वरूण चैधरी, मुख्य शिक्षा अधिकारी कुलदीप गैरोला, पुलिस उपाधीक्षक नताशा सिंह, प्रधानाचार्य कर्मवीर सिंह, बाल अधिकार संरक्षण आयोग अनुसचिव डा. रोशनी सती, जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक अतुल सेमवाल, कुंवर सिंह रावत, समाज कल्याण अधिकारी विजय उनियाल आदि मौजूद थे। 

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