जोशीमठ (चमोली)। भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र में बेहतर सड़क सुविधा के लिये जोशीमठ-मलारी सड़क चैड़ीकरण ओर सुधारीकरण के लिये भारत सरकार की ओर क्षेत्र में सामाजिक समाघात निर्धारण सर्वेक्षण कार्य शुरु कर दिया गया है। सर्वेक्षण के तहत गढवाल विश्व विद्यालय के समाजशस्त्र एवं समाजकार्य विभाग की ओर ग्रामीणों की बैठक आयोजित की गई। इस दौरान टीम के सदस्यों की ओर से भारत सरकार के सड़क चैड़ीकरण के प्रस्ताव को ग्रामीणों से बातचीत की। परियोजना निर्माण से पूर्व सरकार द्वारा ग्रामीणों से वार्ता करने के इस प्रयास को ग्रामीणों की ओर से भी समर्थन मिल रहा है।

बता दें कि भारत माला योजना के तहत भारत सरकार की ओर भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र को यातायता से जोड़ने वाली जोशीमठ-मलारी सड़क को 31 किलोमीटर चैड़ीकरण और विस्तारीकरण की योजना तैयार की गई है। जिसके लिये सरकार की ओर से योजना निर्माण से पूर्व सड़क निर्माण की जद में आने वाले क्षेत्र के 14 गांवों के ग्रामीणों से मिलन सामाजिक समाघात निर्धारण सर्वेक्षण करया जा रहा है। इस दौरान मंगलवार को हेमवंती नंदन बहुगुणा गढवाल विवि श्रीनगर के समाजशास्त्र एवं समाजकार्य विभाग की नौ सदस्यी टीम ने रविग्राम में ग्रामीणों से बातचीत की। इस दौरान नापभूमि, भवनों के अधिग्रहण के साथ ही सड़क निर्माण से होने वाली दिक्कतों और उनके समाधान को लेकर चर्चा की गई। उन्होंने एक निर्धारित पत्र पर ग्रामीणों के सुझावों को भी अंकित किया। इस मौके पर मुख्य अंवेषक डा. जेपी भट्ट, डा. नरेश मिश्रा, डा. दिनेश कुमार, डा. राजीव नागर, डा. राजेंद्र सिंह, सतीश गुसांई, अजंली, कृतिका, आरती, आरके मीना और संजीत सहित राजस्व, तहसील और बीआरओ के अधिकारी मौजूद थे।

 

क्या कहते हैं ग्रामीण

नगर पालिका जोशीमठ के सभासद समीर डिमरी, विक्रम भुजवांण, सुभाष डिमरी और कुशलानंद बहुगुणा ने परियोजना निर्माण से पूर्व क्षति और सामाजिक प्रभावों पर सरकार द्वारा करवाये जा रहे अध्ययन के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि योजनाओं के निर्माण के ग्रामीणों को सुझावों को शामिल करने से जहां निर्माण कार्य के दौरान आने वाली दिक्कतें कम होंगी। वहीं ग्रामीणों को होने वाली समस्याओं का निर्माण कार्य प्रारम्भ होने से निस्तारण हो सकेगा।

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