उच्च शिक्षा मंत्री को भेजा ज्ञापन
कर्णप्रयाग (चमोली)। उत्तराखण्ड के राजकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की भर्ती में साक्षात्कार के लिए चयनित अभ्यर्थियों ने भाजपा नेता रविंद्र जुगरान के निराधार बयानों पर कड़ी आपत्ति जताई है। और इस संबंध में उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत को मंगलवार को एक ज्ञापन भेजकर चेतावनी दी है कि यदि उनका साक्षात्कार शुरू नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
चयनीत अभ्यर्थी डा. आरके पोखरियाल, डा. सपना का कहना है कि भाजपा नेता ने अपने बयान में सहायक प्रोफेसर की भर्ती में धांधली होने तथा उत्तराखंड राज्य से बाहर के अभ्यर्थियों का चयन होने की बात कही है। इस तरह से भाजपा नेता अपनी ही सरकार एवं उसके अधीनस्थ लोक सेवा आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि इस भर्ती को लोक सेवा आयोग ने यूजीसी गाइडलाइन के तहत आयोजित कराया है। इस भर्ती में 85 फीसदी पद उत्तराखंड के आरक्षित वर्ग एवं उत्तराखंड महिला वर्ग के लिए ही आरक्षित है। इसके 85 फीसदी पदों पर केवल उत्तराखंड राज्य के मूल निवासी और स्थाई निवासी ही आवेदन कर सकते थे। तो यह भ्रम फैलाना की इसमें चयनित ज्यादातर युवा राज्य के बाहर के हैं बिल्कुल असत्य एवं तथ्यहीन है। इस परीक्षा पर यह कहकर उंगली उठाई जा रही है कि इसमें रिर्टन टेस्ट नहीं हुआ। यूजीसी ने ही लोक सेवा आयोग एवं सभी यूनिवर्सिटीज को असिस्टेंट प्रोसेसर की भर्ती एपीआई के माध्यम से करने को कहा है। जो अभ्यर्थी एपीआई की ओर से साक्षात्कार के लिए चयनित हुए हैं, वे सभी नेट एवं पीएचडी धारक है जिन्होंने कई परीक्षाएं पास की है। उनका कहना है कि नेट परीक्षा में तो पूरे देश के अभ्यर्थियों की एक सिंगल मेरिट बनती है, उसमें जो मेरिट में टॉप पर आते हैं वही अभ्यर्थी नेट परीक्षा पास कर पाते हैं। पीएचडी में भी प्रवेश परीक्षा निकालकर छात्र प्री-पीएचडी में नामांकित होता है। तब सफलतापूर्वक प्री-पीएचडी उत्तीर्ण करने के बाद छात्र का पीएचडी के लिए अंतिम चयन होता है और उसके बाद पांच से छह साल में छात्र पीएचडी उत्तीर्ण करता है। इस भर्ती में चयनित सभी अभ्यर्थी कई रिर्टन टेस्ट निकाल चुके है। एपीआई स्कोर में टीचिंग एक्सपीरियंस, रिसर्च पेपर पर भी अंक दिए गए हैं। इस भर्ती की 75 फीसदी प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है इसमें अब केवल साक्षात्कार परीक्षा शेष है। किंतु रविंद्र जुगरान एवं अन्य लोग दबाव बनाकर इस भर्ती को रद्द करने की बात कह कर उत्तराखंड की भाजपा सरकार, उत्तराखंड हाई कोर्ट एवं उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को चुनौती दी जा रही है। जिसका समस्त अभ्यर्थियों ने पुरजोर विरोध कर भारी रोष जताया है। साक्षात्कार के लिए चयनित अभ्यर्थियों की सरकार एवं लोक सेवा आयोग से यह अपील है की इस भर्ती की शेष बची प्रक्रिया जो कि साक्षात्कार परीक्षा ही है को अतिशीघ्र पूरी निष्पक्षता एवं इमानदारी से आयोजित की जाए ताकि दो साल से निराश बेरोजगार अभ्यर्थियों की जल्द नौकरी लग सके एवं शिक्षक विहीन महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं को भी सभी विषयों के प्रोफेसर जल्दी उपलब्ध हो सके। ज्ञापन देने वालों में डॉ. आरके पोखरियाल, डॉ. सीमा पोखरियाल, प्रदीप, डॉ. सपना, कपिल, केदार, डॉ. गोपी प्रसाद, हरीश, रेनू, महेंद्र, प्रदीप आदि शामिल रहे।