गोपेश्वर (चमोली)। चिपको आंदोलन की मातृ संस्था दशोली ग्रामी स्वराज्य मंडल और सीपीबी पर्यावरण केंद्र की ओर से सोमवार को चमोली जिले के मंडल घाटी के गढसेरा में चिपको की 50वीं वर्षगांठ धूमधाम से मनाई गई। साथ ही ग्रामीणों के साथ एक बैठक भी आयोजित की गई। इस मौके पर ग्रामीणों ने क्षेत्र में पौधरोपण किया। कार्यक्रम का शुभारंभ चिपको नेता और पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट ने किया।
मंडल घाटी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान चंडी प्रसाद भट्ट ने बताया कि वर्ष 1973 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मंडल क्षेत्र के जंगलों के कटान के लिये साइमन कंपनी को अनुबंधित किया गया। जिसके बाद कंपनी के मजदूर जब क्षेत्र में पेड़ों के कटान के लिये पहुंचे तो मंडल के ग्राम प्रधान आलम सिंह की अध्यक्षता में 24 अप्रैल 1973 को गौंडी नामक स्थान पर पहली बैठक हुई। जिसमें निर्णय लिया गया कि गंाधीवादी तरीके से पेड़ों से चिपक पेड़ों के कटान का विरोध किया जाएगा। जिसके बाद सरकार की ओर से वर्ष 1974 में रैंणी क्षेत्र में भी कंपनी को पेड़ों के कटान की अनुमति दी गई। जिस पर रैंणी गांव की महिला मंगल दल अध्यक्ष गौरा देवी के नेतृत्व में महिलाओं ने पेड़ों पर चिपक कर कटान का विरोध किया। जिसके चलते आंदोलन देश और दुनिया में चिपको के नाम से पहला पर्यावरण सरंक्षण के आंदोलन के रुप मे विख्यात हुआ। उन्होंने बताया कि आंदोलन में स्थानीय पुरुष व महिलाओं के साथ ही महाविद्यालय के छात्रों का भी बड़ा योगदान रहा है। कार्यक्रम के दौरान महिला मंगल दल सिरोली, बैरागना, मंडल और बंणद्वारा के साथ ही गणेशनगर के बच्चों ने पर्यावरण सरंक्षण को लेकर गीत, नृत्य व नाटकों की शानदार प्रस्तुति दी।
इस मौके पर सीपीबी पर्यावरण केंद्र के न्यासी ओमप्रकाश भट्ट, चिपको नेता मुरारी लाल, पूर्व प्रमुख नंदन बिष्ट, भगत बिष्ट, अनुसूया प्रसाद मलासी, विनय सेमवाल, मनोज तिवारी, ग्राम प्रधान पुष्कर सिंह बिष्ट, आरती देवी, सरोजनी देवी, सुशीला सेमवाल, रामेश्वरी तिवारी आदि मौजूद थे।