गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले के मंडल घाटी के खल्ला गांव की अनसूया देव डोली समेत देवलधार तथा कठूड की ज्वाला की देव डोलियों का आसन विवाद गहरा गया है।

गौरतलब है कि 28 व 29 दिसंबर को आयोजित पुत्रदायिनी के रूप में विख्यात अनुसूया देवी मेले में इस बार खल्ला गांव की अनसूया देवी की रथ डोली को पौराणिक काल से चली आ रही परम्पराओ के निमित पूर्व निर्धारित आसन पर विराजमान होने को जगह नहीं मिल पाई। इसी तरह देवलधार तथा कठूड़ गांव से चली ज्वाला देवी की डोलियों को भी स्थान न मिलने के चलते तीनों देव डोलियां अनुसूया आश्रम स्थित मंदिर परिसर में ही कडाके की ठंड के बीच खुले आसमान तले रही। इस मामले में पौराणिक धार्मिक परम्पराओं की अवहेलना को लेकर विवाद पैदा हो गया था। किसी तरह पुलिस तथा राजस्व कर्मियों ने मेले को शांतिपूर्वक संचालित कर लिया था। अब ग्राम विकास एवं धर्मस्व समिति ने मां अनसूया देवी खल्ला की उत्सव डोली समेत देवलधार तथा कठूड़ की ज्वाला की देव डोलियों को पौराणिक परम्पराओं के अनुसार पूर्व निर्धारित आसन (स्थान) न मिलने पर एतराज जताया है।

ग्राम विकास एवं धर्मस्व समिति खल्ला के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह नेगी, जगत सिंह बिष्ट, बीरेंद्र सिंह बिष्ट, बुद्धि सिंह बिष्ट, कल्याण सिंह बिष्ट आदि ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंप कर कहा है कि इस मामले को लेकर ग्राम वासियों ने आला अधिकारियों को मेले के दौरान ही जानकारी दे दी थी। कहा कि 18 दिसंबर को अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में मेला तैयारी बैठक में मेले के सफल संचालन के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए थे। श्री अनुसूया मंदिर ट्रस्ट समिति ने दिशा निर्देशों की अवहेलना की। इस कारण तीनों देव डोलियां पूर्व निर्धारित स्थानों पर विराजमान नहीं हो पाई। उन्होने इस मामले में अनुसूया मंदिर ट्रस्ट समिति पर कार्रवाई की मांग की। कहा कि इस प्रकरण पर 29 दिसंबर को महिला मंगल दल खल्ला की ओर से श्री अनुसूया मंदिर ट्रस्ट समिति को पूर्व व्यवस्था लागू करवाने पर चर्चा की गई तो धमकी दी गई कि अगले वर्ष से तीनों देव डोलियों को मेले में आने नहीं दिया जाएगा। उन्होने ट्रस्ट को लेकर 1987 के एक आदेश का भी उल्लेख किया है। उन्होने इस मामले में कार्रवाई की जिलाधिकारी से अपील की है।

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