थराली (चमोली)। चमोली जिले के चेपडों में हर वर्ष आयोजित होने वाला शहीद भवानी दत्ता जोशी स्मृति तीन दिवसीय मेले का गुरूवार को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ आगाज हो गया है। मेले का उद्घाटन थराली के विधायक भूपाल राम टम्टा ने किया। देश की सीमाओं की रक्षा करते शहीद हुए और  मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित  भवानी दत्त जोशी  के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने  के  उनकी स्मृति में आयोजित तीन दिवसीय शहीद भवानी दत्त शौर्य महोत्सव का रंगारंग आगाज  गुरुवार को   रंगारंग  कार्यक्रमों और  सैन्य शौर्य प्रदर्शन के साथ शुरू हो गया है।

मेले का उद्घाटन करते हुए विधायक ने कहा कि यह वीरों की भूमि है। यहां के लोगों में देश प्रेम का जज्बा कूटकूट कर भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि मेले हमारी संस्कृतिक धरोहर भी है। आने वाले पीढ़ी को इसे संजोये रखना होगा। मेले के उद्घाटन के अवसर पर सेना के जवानों, पूर्व सैनिको और जनप्रतिनिधियों ने शहीद स्मारक पर दीप प्रज्वलित कर माल्यापर्ण किया। इस मौके पर स्कूली बच्चो तथा महिला मंगल दलों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।

गौरतलब है कि देश की रक्षा के लिए बलिदान देने वाले शहीद भवानी दत्त जोशी ने पिंडर घाटी के युवाओं में देश के लिए बलिदान का एक जज्बा भरा है। 14 जुलाई 1952 में चेपड़ो गांव के ख्यालीराम जोशी के घर जन्मे शहीद भवानी दत्त जोशी 14 जुलाई 1970 में गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए। उसके बाद उन्होंने 1972 में भारत-पाक युद्ध में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और लड़ाई में वह बुरी तरह घायल हो गए थे। बाद में स्वस्थ होने पर उन्होंने पुनः अपना योगदान सेना को दिया, 1984 में जब पूरा पंजाब आतंकवाद से जूझ रहा था। आतंकियों ने श्रद्धा का मुख्य केंद्र स्वर्ण मंदिर पर भी कब्जा कर लिया था तो सरकार ने ब्लू स्टार ऑपरेशन शुरू करवाया तथा पंजाब को सेना के हवाले करते हुए गढ़वाल राइफल की एक प्लाटून को आतंकियों से मंदिर को खाली कराने का जिम्मा सौंपा। लंबी जद्दोजहद के बाद भी सेना मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई तब साहसी भवानी दत्त जोशी ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपने प्राणों को हथेली में रखकर पांच और छह की मध्यरात्रि को मंदिर की एक खिड़की को तोड़ कर उसके रास्ते मंदिर में प्रवेश किया। इस दौरान आतंकवादियों की कई गोलियां उन पर लगी किंतु इसकी परवाह किए बगैर उन्होंने कई दुश्मनों को मार गिराया। बाद में अन्य सैनिकों ने भी मंदिर में प्रवेश किया और आतंकियों को मारकर सिखों के पवित्र तीर्थ स्वर्ण मंदिर को आजाद किया, किंतु इस दौरान वीर जवान अपने सहयोगी सैनिकों एवं परिजनों को रोते बिलखते छोड़ शहीद हो गए। सरकार ने उन्हें मरणोपरांत  अशोक चक्र से सम्मानित किया वे उत्तराखंड के पहले अशोक चक्र विजेता है। उनकी स्मृति में श्रद्धांजलि के लिए हर वर्ष छह से आठ जून को तीन दिवसीय शौर्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है। पिछले 13 वर्षों तक किन्ही कारणों से मेले का आयोजन नहीं हो पाया। वर्ष 2023 में पुनः इस मेले का शुभारंभ किया गया।

मेले में विभिन्न विभागों की ओर से स्टाल लगाए गए हैं। सेना की ओर से पूर्व सैनिकों के लिए कैंटीन की सुविधा तथा मेडिकल की सुविधा के साथ पेंशन प्रकरणों की सुधारीकरण के लिए भी कैंप की व्यवस्था की गई है। इस अवसर पर सीआईएमएस के मैनेजिंग डायरेक्टर ललित जोशी, ओहो रेडियो के डायरेक्टर जे काव्य, मेला अध्यक्ष वीरू जोशी, सचिव देवेंद्र रावत, संयोजक दिगपाल सिंह गाड़िया, संरक्षक  कर्नल ईश्वर फरस्वाण, पूर्व सेना अधिकारी परवेद्र भकुनी, कर्नल संदीप जोशी, भाजपा मंडल अध्यक्ष नंदू बहुगुणा, गंगा सिंह बिष्ट, गिरीश चमोला, मेला उपाध्यक्ष दर्शन सिंह शाह,   महिला मंगल दल अध्यक्षा नीलू शाह, सहित महिला मंगल दल चेपड़ो, प्रमुख थराली कविता नेगी, ब्लाक प्रमुख नारायणबगड़ यशपाल सिंह नेगी, इंद्र सिंह राणा आदि मौजूद थे।

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