गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले के जोशीमठ विकास खंड की स्यूंण-डुमक-कलगोठ की बीते 15 वर्षों से निर्माणाधीन सड़क को लेकर ग्रामीण और विभाग के बीच विवाद शुरु हो गया है। जहां ग्रामीणों की ओर से विभाग पर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिये समरेखण में बदलाव करने की बात कही जा रही है, वहीं विभाग की ओर भूगर्भीय रिपोर्ट के आधार पर आंशिक बदलाव का दावा किया जा रहा है। ग्रामीणों की शिकायत पर जिलाधिकारी की ओर गठित जांच कमेटी पर भी डुमक के ग्रामीणों ने बिना वार्ता कर लौटने का आरोप लगाया है।
जोशीमठ ब्लाॅक के डुमक गांव को सड़क से जोड़ने के लिये शासन ने वर्ष 2007-08 में स्यूंण-डुमक-कलगोठ सड़क को स्वीकृति प्रदान की। लेकिन पीएमजीएसवाई पोखरी की ओर से अभी तक सड़क का निर्माण पूर्ण नहीं किया जा सका है, वहीं स्वीकृत योजना के तहत सड़क का निर्माण स्यूंण से डुमक से होते हुए कलगोठ तक किया जाना था। लेकिन ग्रामीणों के अनुसार अब विभाग समरेखण बदलकर स्यूंण से कलगोठ तक सड़क निर्माण करने जा रहा है। ऐसे में सड़क सुविधा से न जुड़ने की आशंका जताते हुए ग्रामीणों ने डीएम से जांच की मांग की। ग्रामीणों की मांग पर डीएम चमोली ने जांच कमेटी गठित कर डुमक के ग्रामीणों से वार्ता करने का निर्देश दिये। जिस पर अब ग्रामीणों ने जांच टीम के स्यूंण गांव से वापस लौटने और डुमक के ग्रामीणों से वार्ता न करने पर नाराजगी बनी हुई है। स्थानीय निवासी प्रेम सिंह सनवाल और नरेंद्र सिंह का कहना है कि जांच कमेटी ने डुमक गांव के ग्रामीणों से वार्ता नहीं की है। जो डीएम के आदेशों की अवहेलना है। उन्होंने मामले का निस्तारण न होन पर आंदोलन शुरु करने की बात कही है।
स्यूंण-डुमक-कलगोठ सड़क के 15 किमी हिस्से का निरीक्षण परिजयोजना निदेशक ग्राम्य विकास के नेतृत्व में किया गया है। शेष हिस्से का निरीक्षण और डुमक के ग्रामीणों से वार्ता के लिये टीम उर्गम से होते हुए जल्द गांव में जाएगी, वहीं सड़क के लिये पूर्व में चयनित भूमि के 500 मीटर हिस्से को भूर्गभवेताओं की ओर से भूस्खलन संभावित क्षेत्र बताया गया है। ऐसे में यहां समरेखण में आंशिक बदलाव करते हुए डुमक गांव को सड़क से जोड़ने की योजना बनाई गई है। ग्रामीणों से जल्द वार्ता कर मामले का निस्तारण किया जाएगा।
परशुराम चमोली, अधिशासी अभियंत, पीएमजीएसवाई, पोखरी।