थराली (चमोली)। उत्तराखंड सरकार की ओर से प्रदेश के 63 नगरों को महायोजना के माध्यम से विकसित करके जाने का निणय लिया गया है, जिसमें चमोली जिले के थराली नगर को भी सम्मिलित किए जाने की घोषणा के बाद स्थानीय लोगों में खुशी जताई है। स्थानीय लोगों का मानना है कि महायोजना के माध्यम से आपदा ग्रस्त क्षेत्र थराली को सुरक्षित और सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी।
बता दें कि वर्ष 2013 में थराली नगर का एक बड़ा हिस्सा भूधंसाव की चपेट में आ गया था। तब यहां के हालात तात्कालिक समय में जोशीमठ से भी बदतर हो गए थे। लगभग दो सौ से अधिक आवासीय भवन क्षतिग्रस्त हो गये थे। कई परिवारों को स्कूलों आदि में रहना पड़ा था। स्थानीय लोगो की मांग पर सरकार की ओर से यहां का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया गया था। भूगर्भीय सर्वेक्षण में भू वैज्ञानिकों ने क्षेत्र में सुरक्षा के लिए उपाय भी सुझाए गए थे। लेकिन उन उपायों पर कार्य नहीं हो पाया और थराली का आपदा इलाका आज भी लगातार धस रहा है। यहां के भवनों में दरारें आज भी देखी जा सकती है। अब सरकार की ओर से इस क्षेत्र को महायोजना के माध्यम से सवारे जाने की घोषणा के बाद स्थानीय लोगों ने खुशी छायी हुई।
थराली नगर पंचायत के अध्यक्ष दीपा भारती का कहना है कि सरकार ने थराली को महायोजना के तहत विकसित करने और यहां आपदा ग्रस्त क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए चयन किया है। पूर्व में भूवैज्ञानिकों की ओर से क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अपनी रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई है जिनको महायोजना में सम्मिलित किया जाएगा। थराली को सुरक्षित करने के उपाय भू वैज्ञानिकों की ओर से जो भी सुझाए गए हैं उन पर महायोजना में अमल किया जाएगा। थराली को महायोजना में सम्मिलित करने पर आपदा प्रबंधन समिति थराली के संयोजक अधिवक्ता रमेश चंद्र थपलियाल, समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र भारती, गिरीश पंत, लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल जगदीश प्रसाद, वासपा नंद, प्रेम पंत, राकेश बिष्ट, मुन्ना भट्ट, फैयाज अहमद, धनसिंह रावत, हरीश राम, सुरेश कुमार, प्रेम कुमार, मुकेश राम, मुन्नी देवी, नंदा बल्लभ, संतोष देवराडी, कमला देवी, राधा देवी, हरीश चंद, गजेंद्र सिंह आदि ने खुशी जताई है।