जोशीमठ (चमोली)। जोशीमठ में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते लाखों की लागत से बना महिला चिकित्सालय खंडहर में तब्दील होने लगा है। लेकिन विभागीय अधिकारियों की ओर से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में राज्य में सरकारी संपत्तियों को लेकर विभागों की संजीदगी का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

अविभाजित उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जोशीमठ में महिला चिकित्सालय का निर्माण करवाया गया था। जिसके बाद वर्ष 1991 में आये भूकम्प के दौरान यहां निर्मित तीन भवन क्षतिग्रस्त हो गये थे। जिनका वर्तमान तक सुधारीकरण नहीं किया जा सका है। जबकि वर्ष 1999 में महिला चिकित्साल को सीएचसी जोशीमठ में समाहित करने के बाद यहां शेष पांच भवनों को भी विभाग की ओर से जस का तस छोड़ दिया गया है। ऐसे में भवनों के साथ ही भवनों के भीतर रखा लाखों का सामान भी कबाड़ में तब्दील हो गया है। भवन के दरवाजे और खिड़कियों के क्षतिग्रस्त होने के चलते भवन आवारा मवेशियों की ठौर बन गया है। वहीं भवन के आसपास गंदगी पसरी पड़ी है। नगर पालिका सभासद समीर डिमरी, सुनीता देवी सकलानी, ममता सकलानी और वैभव सकलानी का कहना है कि महिला चिकित्सालय के भवन की खस्ताहालत को सुधारने को लेकर कई बार विभागीय अधिकारियों के साथ ही जन प्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई। लेकिन वर्तमान तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। जिससे लाखों की सरकारी संपत्ति खंडहर में तब्दील हो रही है।

 

क्या कहते हैं अधिकारी
जोशीमठ के महिला चिकित्सालय के भवन के भूकम्प में क्षतिग्रस्त होने के बाद सीएचसी में समाहित किया गया था। यदि भवन का कोई हिस्सा उपयोगी है, तो इसे दिखवाया जाएगा और भवन व सामग्री के संरक्षण के लिये आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
डा. जीएस राणा, मुख्य चिकित्साधिकारी, चमोली।

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