गौचर (चमोली)। नौकायन में चमोली जनपद को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले सुरेंद्र कनिवासी जी ने 1990 में बीजिंग चीन में नौकायन में भारत को कांस्य पदक दिलाने वाले। विश्व नौकायन में देश को कीर्तिमान के साथ रजत पदक से सम्मानित व्यक्ति गोचर में एक ढाबा चलाने के लिए मजबूर हैं।

सन 2000 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित सुरेंद्र चमोली जनपद के नारायण बगड़ विकासखंड के हैं। जहां सरकारें अपने अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के खेल अकादमी सहित नगद पुरस्कार के साथ जमीन उपलब्ध कराती रहती है। वहीं हमारी सरकार ने उसे गोचर में एक आधा नाली जमीन उपलब्ध कराकर आज तक उसे उस पर मालिकाना हक तक नहीं दिया। इस खिलाड़ी की बदनसीबी देखिए कि उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने गोचर में जो जमीन उपलब्ध कराई थी। उस पर प्रशासन ने बस अड्डा बना दिया। जब उस ने शिकायत की तब उसे आधी नाली की उस विवास्पद जमीन को दे दिया। उसके मालिकाना हक के लिए न्यायालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। अक्टूबर 2018 को मुख्यमंत्री से गुहार लगाने के बाद भी उसे न्याय नहीं मिल पाया है।

उत्तराखंड सरकार एडवेंचर स्पोर्ट्स के नाम पर बड़े-बड़े दावा करती रही है। उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा उसे टिहरी झील पर सहासिक गतिविधियां संचालित करवाने में सहयोग मांगा। सुरेंद्र कनिवासी अपना प्रस्ताव लेकर राज्य सरकार के दरवाजे पर भी पहुंचे किंतु इस खिलाड़ी के प्रस्ताव पर गौर करना तो दूर सरकार उसे एकदम भुला बैठी है।  इस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी की इच्छा चमोली में रहकर काम करने की थी इसलिए उसने राष्ट्रीय स्तर के कोच की नौकरी ठुकरा कर चमोली में ही रहकर युवाओं को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई थी। दुर्भाग्यवश सरकार और प्रशासन ने इस खिलाड़ी की घोर उपेक्षा कर उसे पहले ठेकेदार और फिर ढाबा चलाने के लिए मजबूर किया आखिर रिवर्स पलायन का दम भरने वाली सरकार जब तक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी की सेवाएं लेने में असमर्थ है, तब हमारे खिलाड़ियों को मजबूर होकर ढाबा चला कर पकौड़े तल कर ही अपनी जीविका चलाने होगी। 

(डॉ. योगेश धस्माना)

                   
                                                         

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