देहरादून। उत्तराखंड की धामी सरकार ने वन विभाग में अवैध निर्माण समेत अनियमितताओं के मामले में तीन IFS अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इनमे से सरकार ने दो आईएफएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया। जबकि, एक आईएफएस अधिकारी को देहरादून मुख्यालय अटैच किया गया है। भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस की नीति पर चल रही धामी सरकार ने वन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई कर नौकरशाही को कड़ा संदेश देने का प्रयास किया है।

उत्तराखंड वन विभाग में कॉर्बेट नेशनल पार्क के भीतर अवैध निर्माण समेत अनियमितताओं के मामले में आखिरकार सरकार ने अपना चाबुक चला दिया है। कैंपा की जिम्मेदारी संभाल रहे जेएस सुहाग को जहां निलंबित किया गया है। वहीं, पिछले दिनों आय से अधिक संपत्ति मामले में चर्चाओं में रहने वाले किशनचंद को भी सस्पेंड किया गया है। सरकार ने कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक राहुल पर भी कार्रवाई करते हुए उन्हें देहरादून वन मुख्यालय में अटैच कर दिया है। बता दें कि, बीते दिनों पाखरौ रेंज में अवैध निर्माण और कटान मामले में पूर्व सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए थे और इस मामले की जांच भी की जा रही थी। खास बात यह है कि अब इस मामले में गलत कार्यों की पुष्टि होने पर कार्रवाई की गई है। कार्रवाई की पुष्टि प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने की।

यह है मामला

कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के अंतर्गत पाखरो में टाइगर सफारी के निर्माण के लिए पूर्व में स्वीकृति से अधिक पेड़ों का कटान कर दिया गया था। इसके अलावा इस क्षेत्र में सड़क, मोरघट्टी व पाखरो वन विश्राम गृह परिसर में भवन के अलावा जलाशय का निर्माण भी कराया गया। इन कार्यों के लिए कोई वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति तक नहीं ली गई थी। इस संबंध में मिली शिकायतों के बाद गत वर्ष जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की टीम ने क्षेत्र का निरीक्षण किया, तब मामला प्रकाश में आया।

एनटीसीए ने शिकायतों को सही पाते हुए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की। इससे विभाग में हड़कंप मचा, लेकिन शुरुआत में केवल रेंज अधिकारी को हटाया गया। मामले ने तूल पकड़ा तो गत वर्ष 27 नवंबर को शासन ने तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग से यह जिम्मेदारी वापस ले ली थी। साथ ही कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के डीएफओ किशन चंद को विभाग प्रमुख कार्यालय से संबद्ध किया गया। यद्यपि, सीटीआर के निदेशक के विरुद्ध कार्रवाई न होने से प्रश्न उठ रहे थे। यह प्रकरण उच्च न्यायालय में भी चल रहा है।

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