संतोष नेगी

पोखरी (चमोली)। एक ओर जहां पर्यावरण को बचाने के नाम पर लाखों रूपये जन जागरूकता के नाम पर खर्च करने वाले नगर निकाय और वन विभाग इस बात को लेकर मौन है कि चमोली जिले के पोखरी नगर पंचायत के कार्यालय के परिसर में 20 साल पुराना संरक्षित प्रजाति के बांज का पेड़ अवैध तरीके से कट गया और नगर पंचायत का पता ही नहीं चला वहीं वन विभाग अब मामले की जांच कर कार्रवाई करने की बात कर रही है।

नगर पंचायत पोखरी के कार्यालय के परिसर में 20 सालों से अधिक से पुरान एक संरक्षित प्रजाति के बांज का पेड़ था। जो यहां आने वाले लोगों को छांव और ताजा हवा देता था लेकिन शायद कुछ लोगों को यह बांज का पेड़ यहां पर खटक रहा था और उन्होंने अवैध तरिके से पेड़ को काट कर उसकी जड़ तक को जला दिया ताकि इसी को यह पता न चल सके कि यहां पर कभी कोई बांज का पेड़ भी था। पेड़ कटने के बारे में जब नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी संजय रावत से पूछा गया तो उन्होंने यह कह कर अपना पल्ला झाड दिया कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है, वहीं अब वन विभाग भी इस मामले में यह कह  कर पल्ला झाडने का प्रयास कर रहा है कि मामला सिविल क्षेत्र अर्थात वन पंचायत का है।

मगर सवाल यह उठता है कि ग्रामीण क्षेत्र में भी वन पंचायतें अस्तित्व में है तब भल्ला वन विभाग ग्रामीणों के अपने खेत से पेड़ की एक टहनी काटने पर भी लोगों को रोकती और उन पर पेड़ काटने के आरोप में उनका चालान कर देती है। और यहां पर तो संरक्षित प्रजाति के बांज के पेड़ के काटने के मामले में वन विभाग की चुप्पी लोगों को अखर रही है।

इधर वन क्षेत्राधिकारी पोखरी रेंज प्रदीप गौड़ ने कहा कि पेड़ कटने का मामला उनके संज्ञान में आया है जिसकी जांच की जा रही है और दोषियों के  विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी। 

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