गोपेश्वर (चमोली)। नागपुर-पोखरी ब्लॉक प्रमुख के पद पर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत से भाजपा सकते में आ गई है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट तथा कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला का होमब्लॉक पोखरी ही है। इसके चलते पोखरी ब्लॉक प्रमुख का पदों दलों के दिग्गजों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था। अब जबकि कांग्रेस समर्थित राजी देवी ब्लॉक प्रमुख पद पर निर्वाचित हुई है तो इस हार से भाजपा सकते में आ गई है। भाजपा प्रत्याशी से कांग्रेस प्रत्याशी 9 मतों से आगे रही। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को 17 मत मिले भाजपा प्रत्याशी को 8 मत हासिल हुए। इसी तरह ज्येष्ठ उप प्रमुख पद पर ऊषा देवी और कनिष्ठ उप प्रमुख पर शिव लाल ने जीत दर्ज कर कांग्रेस का परचम लहराया है। इस जीत से कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला निकाय चुनाव की हार का बदला ले चुके हैं। हालांकि पोखरी नगर पंचायत के चुनाव में भाजपा तथा कांग्रेस प्रत्याशियों को पराजय का सामना करना पड़ा था। निर्दलीय सोहन लाल ने जीत दर्ज कर दोनों दलों को सकते में डाल दिया था। इस बार तो पंचायत चुनाव में प्रमुख पद को लेकर दोनों दलों के दिग्गजों ने मोर्चा संभाला किंतु सत्तारूढ भाजपा पंचायत चुनाव के मोर्चे पर भी फिसल गई।
पोखरी ब्लॉक प्रमुख पद को कांग्रेस की झोली में डालने के लिए विधायक बुटोला मतगणना तक मोर्चे पर डटे रहे। इसके चलते चमोली जिले में एकमात्र कांग्रेस विधायक बुटोला जिला पंचायत अध्यक्ष के मोर्चे पर भाजपा के आगे नतमस्तक से रहे। कांग्रेस को इस बार बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा। यहां तक कि उपाध्यक्ष पद भी कांग्रेस की झोली में नहीं जा सका। भाजपा निर्दलीय को भाजपा में मिलाकर अपनी जीत दर्ज कर दी। कांग्रेस भी इसी रास्ते पर निकाली किंतु विधायक के समय न देने के चलते कांग्रेस प्रत्याशी को फजीहत झेलनी पड़ी। विधान सभा वार ब्लॉक प्रमुखों के परिणामों का विश्लेषण करें तो बदरीनाथ विधान सभा क्षेत्र में पोखरी तथा जोशीमठ ब्लॉक कांग्रेस की झोली में गए है। दशोली में भाजपा समर्थित विनिता देवी दोबारा प्रमुख पद पर आसीन हुई है। कर्णप्रयाग विधान सभा क्षेत्र में कर्णप्रयाग तथा गैरसैण के ब्लॉक प्रमुख पद भाजपा की झोली में गए हैं। थराली विधान सभा क्षेत्र में नारायणबगड़ तथा थराली के प्रमुख पदों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने बाजी मारी है। देवाल में किसी भी दल ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए थे। नंदानगर ब्लॉक प्रमुख का पद भाजपा की झोली में गया है। इस तरह कहा जा सकता है कि कांग्रेस ब्लॉक प्रमुखों में दबदबा बना तो गई किंतु प्रत्याशी अपने बल पर जीते हैं। भाजपा प्रत्याशियों की जीत में कार्यकर्ताओं का पूरा सहयोग मिला। कहा जा सकता है कि ब्लॉक प्रमुखों की जीत में दोनों दलों को एकतरफा जीत नहीं मिली।
