गोपेश्वर (चमोली)। राजकीय शिक्षक संघ चमोली ने क्लस्टर विद्यालय योजना की समीक्षा की मांग करते हुए कहा कि इस योजना से पहाडी ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों के बंद होने एवं शिक्षक, प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापकों के पद समाप्त होने की संभवना बनती जा रही है।

राजकीय शिक्षक संघ के जिला मंत्री प्रकाश सिंह चौहान का कहना है कि उत्तराखंड सरकार एनईपी 2020 के प्रावधानों के तहत प्रदेश में 559 क्लस्टर स्कूल बनाने जा रही है। इसके लिए शासनादेश और पहले चरण हेतु बजट का आवंटन किया जा चुका है।  शासनादेश के अनुसार इन क्लस्टर स्कूलों के 15 किमी के दायरे में आने स्कूल इससे आच्छादित होंगे। ऐसे स्कूल जहां छात्र संख्या कम होगी धीरे-धीरे उन स्कूलों को बंद करके वहां के छात्रों को इन क्लस्टर स्कूलों में समायोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी स्कूल को सेंटर आफ एक्सीलेंस या क्लस्टर के रूप में विकसित कर उसे रिसोर्स सेंटर के रूप में विकसित करना एक अच्छा कदम हो सकता है लेकिन स्कूलों को बंद करना तार्किक नहीं है। उनका कहना है कि स्कूलों को बंद करके हम शिक्षा की पहुंच को सीमित करने का प्रयास तो नहीं कर रहे है। सरकार जब विद्यालयी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा मे सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने हेतु तमाम प्रयास कर रही है ऐसे में अगर कम छात्र संख्या के आधार पर स्कूल बंद होते हैं तब सकल नामांकन अनुपात की क्या स्थिति होगी।

जिला मंत्री चौहान ने कहा कि अन्य प्रदेशों के हिसाब से उत्तराखंड में नीति को लागू किया जाना न्यायोचित नहीं है। स्कूल में छात्रों की संख्या कम भी है तो उसे बंद नही किया जा सकता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 प्रत्येक 1 किमी पर प्राथमिक स्कूल 3 किमी पर उच्च प्राथमिक स्कूल व 5 किमी की दूरी पर एक माध्यमिक विद्यालय होने की बात करता है। अगर कम छात्र संख्या वाले स्कूल बंद होते हैं तो इसका सबसे बडा प्रभाव ग्रामीण इलाकों में पडेगा। 

उन्होंने कहा कि पहले चरण में उत्तराखंड में 559 विद्यालयों को क्लस्टर विद्यालय बनाया जा रहा है। इसमें लगभग 1515 विद्यालय शामिल किए जायेंगें। पूरे प्रदेश में वर्तमान में 1385 राजकीय इंटर कॉलेज एवं 932 हाईस्कूल है यानि दोनों की कुल संख्या 2317 है। सम्भवतः जिन्हें 559 तक सीमित करने की तैयारी है। चमोली जिले के 35 स्कूलों को क्लस्टर विद्यालय के लिए चयनित किया गया है जिनमें 122 राजकीय इंटर कालेज और हाईस्कूल शामिल किए जाने हैं। इससे स्कूल बंद होंगे, शिक्षको, प्रधानाचाय, प्रधानाध्यापकों एवं मिनिस्ट्रीयल के पद समाप्त होने की संभावना है। जब ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल बंद होंगे तो स्वतः ही उन विद्यालयों के लिए स्वीकृत पद भी समाप्त होंगे। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस योजना की समीक्षा की जानी चाहिए ताकि इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सके।

 

 

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