रमेश चंद्र थपलियाल
थराली (चमोली)। नौ साल बीत जाने के बाद भी अभी तक ओडर गांव के लिए पिंडर नदी पर पुल नहीं बन पाया है। जिससे ग्रामीणों को तीन सो मीटर की दूरी पर मुख्य सड़क मार्ग तक जाने के लिए पांच से छह किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। गांव के जोड़ने के लिए लोनिवि ने अस्थाई तौर पर एक ट्राॅली भी लगायी थी लेकिन वह अकसर खराब होने के कारण लोग डर से उसमें बैठने का साहस नहीं कर पाते है क्योंकि कई बार ग्रामीण बीच नदी के उपर हवा में भी लटकते रह गये थे।
बता दें कि 2013 में आयी आपदा में देवाल विकासखंड में बहने वाली पिंडर और कैल नदी पर बने पुल बह गये थे। जिससे क्षेत्र के हरमल, बोरागाढ़, ओडर, घेस गांव को जोड़ने वाला सुपलीगाड़ झूला पुल इन नदियों की भेंट चढ़ गए थे। पुलों के बहने के बाद वर्तमान तक केवल बोरागाढ़ में नए पुल का निर्माण हो पाया है बाकी स्थानों पर अभी तक पुलों का निर्माण नहीं हो पाया है। इन्ही में ओड़र गांव का पुल भी शामिल हैं। यहां पर लोनिवि थराली ने बरसात में लोगों की आवाजाही के लिए एक इंजन चालित ट्राली स्थापित की हैं। किंतु तकनीकी खराबी एवं ट्राली में बैठ कर नदी आर-पार करने से डरने वाले लोगों को मात्र तीन मीटर की दूरी पर स्थित देवाल-सुयालकोट मोटर सड़क तक पहुंचाने के लिए पांच से छह किलोमीटर पैदल चल कर सड़क तक पहुंचने पर मजबूर होना पड़ रहा हैं।
ओडर के क्षेत्र पंचायत सदस्य पान सिंह गड़िया ने बताया कि 2020 में 125 मीटर ओड़र झूला पुल के निर्माण की राज्य योजना में सैद्धांतिक स्वीकृति शासन ने जारी कर दी थी। उसके बाद लोनिवि थराली की ओर से 2021 में 717.46 लाख का विस्तारित आगमन तैयार कर स्वीकृति के लिए सरकार को भेज दिया था जो आज भी स्वीकृति के लिए शासन में पड़ा हुआ है।
ग्रामीणों ने बनाया था अस्थाई पुल, चढ़ गया बरसात की भेंट
बुधवार की रात्रि को अचानक पिंडर नदी में जलस्तर अचानक बढ़ने के कारण ग्रामीणों की ओर से पिंडर नदी में बनाया गया लकड़ियों का अस्थाई पुल एक बार फिर से बह गया है। जिसके बाद ओड़र सहित आसपास के गांवों के ग्रामीणों में मायूसी छा गई हैं।
इधर, लोनिवि थराली के अधिशासी अभियंता अजय काला ने ओडर गांव को सड़क से जोडने के लिए स्थापित इंजन ट्राली को शुरू कर दिया गया हैं। उन्होंने बताया कि ओड़र पुल के नव निर्माण का आंगणन शासन स्तर पर लंबित पड़ा हुआ है स्वीकृति मिलते ही निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।