• -सिंह द्वार परिसर में स्थानीय लोकनृत्य एव भजनों का आयोजन
  • -साढे पांच हजार तीर्थयात्री कपाट बंद होने के अवसर पर रहे मौजूद

बदरीनाथ (चमोली)। विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार अपराह्न तीन बजकर तैतीस मिनट पर पूजा-अर्चना और विधि विधान और भगवान बदरी विशाल के जयकारों के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गये है। कुछ दिन पहले हुई बर्फवारी के बाद कपाट बंद होने के दौरान  आज मौसम साफ रहा दिन में धूप खिली रही यद्यपि दूर चैटियों पर बर्फ साफ देखी जा रही थी।

शनिवार को हर दिन की भांति प्रातः काल महाभिषेक के बाद बालभोग लगा दिन में 11 बजे राजभोग लगा। उसके बाद मंदिर बंद नहीं हुआ, पोने एक बजे अपराह्न शायंकालीन पूजा शुरू हुई। पौने दो बजे बदरीनाथ के मुख्य पुजारी रावल ने स्त्री रूप धारण कर लक्ष्मी जी को बदरीनाथ मंदिर गर्भ गृह में विराजमान किया। इससे पहले उद्धव जी एवं कुबेर जी मंदिर प्रांगण में विराजमान हुए। सवा दो बजे शायंकालीन भोग तथा शयन आरती संपन्न हुई। ढाई बजे से साढ़े तीन बजे तक रावल की ओर से कपाट बंद की रस्म पूरी करते हुए भगवान बदरीविशाल को माणा महिला मंडल की ओर से हाथ से बुना गया  ऊंन का घृत कंबल औढाया गया। तीन बजकर तैतीस मिनट पर श्री बदरीनाथ मंदिर गर्भगृह तथा मुख्य सिंह द्वार के कपाट रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी की ओर से शीतकाल के लिए बंद कर दिये गये। इसी के साथ ही कुबेर जी रात्रि प्रवास के लिए बामणी गांव चले गये।

कपाट बंद के अवसर पर बदरीनाथ  मंदिर को फूलों से सजाया गया था तथा सिंह द्वार परिसर में  गढ़वाल स्काट के बैंड की भक्तिमय धुनों से संपूर्ण बदरीनाथ गुंजायमान हो रहा था। जय बदरीविशाल के उदघोष गूंज रहे थे। कपाट बंद के समय साढ़े पांच हजार से अधिक श्रद्धालुजन तीर्थयात्री कपाट बंद होने के साक्षी बने। बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेष ने मंदिर को फूलों से सजाया। इस अवसर पर दानीदाताओं, भारतीय सेना ने तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे आयोजित किये।

कपाट बंद के पश्चात  बदरीनाथ से रविवार 19 नवम्बर प्रातः उद्धव जी, कुबेर जी की देव डोली  पांडुकेश्वर तथा आदिगुरू शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ प्रस्थान करेगी।

कपाट बंद होने के शुभ अवसर पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति(बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा- निर्देशन में  इस यात्रा वर्ष बदरीनाथ-केदारनाथ यात्रा ऐतिहासिक रही है। इस बार सबसे अधिक 38 लाख  रिकार्ड  तीर्थयात्री बदरी-केदार पहुंचे है। जिनमें से शनिवार कपाट बंद तक अठारह लाख  चालीस हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है। उन्होंने यात्रा में योगदान करने वाले सभी व्यक्तियों, संस्थानों को बधाई दी है। मुख्यकार्याधिकारी योगेंद्र सिह ने बताया कि कपाट खुलने की तिथि से 17 नवम्बर शुक्रवार देर रात तक 18 लाख 36 हजार 519 तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है जोकि पिछले सभी यात्रा वषों में सबसे अधिक है

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि 19 नवम्बर को आदिगुरू शंकराचार्य जी की गद्दी एवं रावल योग बदरी पांडुकेश्वर में प्रवास करेंगे। उद्धव जी तथा कुबेर जी पांडुकेश्वर में शीतकाल में प्रवास करेंगे जबकि  20 नवम्बर को आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी  रावल के साथ जोशीमठ स्थित श्री नृसिंह मंदिर पहुंचेगी।  आदि गुरू शंकराचार्य गद्दी स्थल श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ  में विराजमान हो जायेगी इसी के साथ इस वर्ष श्री बदरीनाथ धाम यात्रा का समापन होगा तथा योग बदरी पांडुकेश्वर तथा  श्री नृसिंह बदरी जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेंगी। कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार, मंदिर समिति सदस्य वीरेंद्र असवाल, भास्कर डिमरी, सदस्य आशुतोष डिमरी, सुभाष डिमरी,  पुलिस अधीक्षक रेखा यादव, मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, उपजिलाधिकारी/डिप्टी सीईओ कुमकुम जोशी, प्रभारी अधिकारी अनिल ध्यानी, ईओ नगर पंचायत सुनील पुरोहित, मंदिर अधिकारी राजेंद्र  चैहान, थाना प्रभारी लक्ष्मी प्रसाद बिजल्वाण, एई गिरीश देवली मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ आदि मौजूद रहे।

 

                   
                                                         

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