गोपेश्वर (चमोली)। केदारनाथ वन प्रभाग की ओर केदारनाथ धाम में हिमालयी जड़ी बूटियों और फूलों के संरक्षण की मंशा से तैयार ब्रहम वाटिका में ब्रहम कमल खिलने लगे हैं। जिससे वन प्रभाग के अधिकारी उत्साहित है। अधिकारियों का कहना है कि केदानाथ धाम में बनाई गई ब्रहम वाटिका में ब्रहम कमल खिलने से अब पूजा अर्चना के लिये उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ब्रहम कमल के दोहन पर प्रभावी रोक लग सकेगी।

केदारनाथ वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी अमित कंवर ने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उगने वाली जड़ी-बूटियों के संरक्षण और सवर्द्धन के लिये विभाग द्वारा केदारनाथ धाम में भैरव मंदिर, मोदी ध्यान गुफा और ध्यान गुफा के समीप 1-1 हैक्टेयर वन भूमि पर ब्रहम वाटिका का निर्माण किया। जिसमें विभाग द्वारा सभी स्थानों पर 200 ब्रहम कमल, 1740 कुटकी, 200 बज्रदंती, 35 भूतकेश, 10 नैरपाती, 18 आरचू 14 कूथ के पौधों का रोपण किया गया था। जिनमें से सभी स्थानों राज्य पुष्प ब्रहम कमल के पौध तेजी से विकासित हो रही हैं। उन्होंने बताया कि वाटिका में इन दिनों ब्रहम कमल के पुष्प भी खिलने लगे हैं। कहा कि केदारनाथ में ब्रहम कमल के खिलने से जहां तीर्थयात्री सुगमता से राज्य पुष्प का दीदार कर सकेंगे। वहीं पूजाओं में उपयोग आने वाले पुष्पों  के दोहन के लिये स्थानीय लोगों को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में नहीं जाना होगा। जिससे उच्च हिमलायी क्षेत्रों में ब्रहम कमल के दोहन से पड़ रहे दबाव पर भी प्रभावी रोक लग सकेगी।

 

क्या है ब्रहम कमल

उत्तरांखड में ब्रहम कमल का पुष्प आधात्मिक महत्व का पुष्प माना जाता है। जहां शिव धामों के साथ ही माँ नंदा की पूजा में इसका विशेष रुप से उपयोग किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उत्पत्ति के देवता ब्रहमा जी के नाम से ही इसे ब्रहम कमल नाम मिला है। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद ब्रहम कमल को राज्य पुष्प का सम्मान भी प्राप्त है। जिसके चलते इसके संरक्षण और संवर्द्धन को लेकर वन विभाग की ओर से विभिन्न प्रकार से प्रयास किये जा रहे हैं।

 

कहां होता है ब्रहम कमल

ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। जो हिमालय की 11 हजार से 17 हजार फीट की ऊँचाई में पाया जाता है। राज्य में यह पुष्प पिंडारी से लेकर चिलफा, नंदीकुंड, सप्तकुंड, हेमकुंड, ब्रजगंगा, फूलों की घाटी और केदारनाथ के आसपास जुलाई से सितम्बर के मध्य खिलता है। वनस्पति विज्ञानियों के अनुसार ब्रहम कमल का खिलता देखना स्वयं के स्वपन देखने जैसा है। क्यों यह पुष्प मध्य रात्रि में खिलता है। इसकी सुंगध, रंग और आकार आकर्षक होने के चलते इसे विशिष्ट पुष्प मानते हुए विशेष पूजाओं में उपयोग किया जाता है।

                   
                                                         

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!