जहां से नजर आता है हिमालय का अभिभूत कर देने वाला सौंदर्य

गोपेश्वर (चमोली)। सीमांत जनपद चमोली में पर्यटन की दृष्टि से कई ऐसे गुमनाम पर्यटन स्थल है जो आज भी देश दुनिया की नजरों से दूर हैं। यदि ऐसे स्थानों को उचित प्रचार और प्रसार के जरिये देश, दुनिया को अवगत कराया जाय तो इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा अपितु स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो पायेंगे। जिससे रोजगार की आस में पलायन के लिए मजबूर हो रहे युवाओं के कदम अपने ही पहाड़ में रूक पायेंगे।

सीमांत जनपद चमोली में ऐसे ही एक गुमनाम और खूबसूरत ट्रैकिंग रूट हिलकोट ट्रैक को खोज निकाला है पिंडर घाटी के दो युवा देवेन्द्र पंचोली और कुंवर सिंह नें। चमोली जिले के देवाल ब्लाॅक के अंतिम गांव वाण से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ये खूबसूरत ट्रैक।

 

हिमालय में मौजूद प्रकृति का खजाना

हिमालय के कौने-कौने की खाक छानने वाले पर्यटकों के लिए हिलकोट ट्रैक प्रकृति का अनमोल तोहफा है। चारों ओर जहां भी नजर दौडाऐं हिमालय की गगनचुम्बी हिमाच्छादित चोटियां, मखमली घास के बुग्याल, नदी घाटियां और विशालकाय पेड के दीदार होते हैं। लगभग साढे दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित हिलकोट ट्रैक मन को आनंदित कर देता है। इस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद एक तरफ मां नंदा का मायका दूसरी ओर मां नंदा के ससुराल का परिक्षेत्र नजर आता है। ठीक सामने एशिया का सबसे बड़ा घास का बुग्याल वेदनी-आली बुग्याल नजर आतें है। उसके पास रहस्यमयी रूपकुण्ड और ब्रहकमल की फुलवारी भगुवासा नजर आती है। जबकि बर्फीली हवाएं जिस ओर से आती है तो बिल्कुल सामने नंदा घुंघुटी और त्रिशूल की हिमाच्छादित शिखर आपसे गुफ्तगु करनें को मानो तैयार खडा है। गढ भूमि एडवेंचर के सीईओ हीरा सिंह गढ़वाली कहते हैं कि यहां से कैल घाटी, नंदाकिनी घाटी, पिंडर घाटी का पूरा भूगोल भी नजर आता है। यदि कुछ समय के लिए मौसम साफ रहे तो आपको यहां से हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं की बहुत बडी रेंज देखने को मिलेगी गंगोत्री,  भगीरथी, बंदरपूंछ, केदारनाथ, चैखंबा, नीलकंठ, कामेट, गौरी पर्वत, हाथी पर्वत, नंदादेवी, नंदा घुघटी, सप्तकुंड सहित हिमालय की कई पर्वत श्रेणी, बंडीधुरा, नरेला, बालपाटा, रामणी, वेदनी बुग्याल, आली बुग्याल, बगजी, नागड मखमली बुग्यालों को देखा जा सकता है।

 

विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी और फूलों से होता है साक्षात्कार

रूपकुण्ड टूरिज्म के सीईओ देवेन्द्र पंचोली कहते हैं कि यहां राज्य बृक्ष बुरांस, राज्य पक्षी मोनाल, राज्य पशु कस्तूरी मृग भी देखने को मिलतें हैं। इसके अलावा सैकड़ो प्रजाति के फूल और बहुमूल्य प्रकार की वनस्पति भी देखने को मिलती है। बर्ड वाचिंग और हिमालय दर्शन के लिए इस ट्रैक से बेहतरीन जगह कोई नहीं है। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि ये ट्रैक प्रकृति का अनमोल खजाना है। ट्रैकिंग गाइड कुंवर सिंह नेगी और नरेन्द्र बिष्ट, रंजीत का कहना है कि तमाम खूबियों के बाद भी ये ट्रैक आज भी देश दुनिया के पर्यटकों की नजरों से ओझल है। सरकार और पर्यटन विभाग को चाहिए की हिलकोट ट्रैक को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई जानी चाहिए ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।

 

 

ऐसे पहुंचा जा सकता है हिलकोट ट्रैक

ऋषिकेश से वाण गांव 275 किलोमीटर वाहन

काठगोदाम से वाण तक 250 किलोमीटर वाहन

वाण से रणका खर्क चार किलोमीटर पैदल

रणक खर्क से शुक्री खर्क चार किलो मीटर पैदल

शुक्री खर्क से हिलकोट दो किलोमीटर पैदल

हिलकोट से कुकीनाखाल चार किलोमीटर पैदल

कुकीनाखाल से वाण चार किलोमीटर पैदल

इस ट्रैकिंग रूट पर 12 महीने आया जा सकता है। तीन से पांच दिनों में इस रूट को तय किया जा सकता है। यदि आप हिमालय और फूलों के दीदार करना चाहते है तो अगस्त, सितम्बर व दिसम्बर का महीना सबसे अच्छा है।

 

                   
                                                         

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