गोपेश्वर (चमोली)। जहां चाह वहां राह कहावत हमें सिखाती है कि अगर हम जीवन में कुछ करने की ठान लें तो कोई भी कार्य असंभव नहीं हैं। कभी-कभी कार्य बहुत कठिन हो सकता है लेकिन मजबूत इच्छा शक्ति हमें सभी कठिनाइयों का सामना करने में मदद करती है और एक रास्ता बनाती है। ऐसा ही कुछ करके दिखाया है सीमांत जनपद चमोली की मंडल घाटी के सिरोली गांव निवासी प्रभात बिष्ट नें जिन्होनें परिंदो के मनमोहक संसार अर्थात बर्ड वाचिंग को रोजगार का जरिया बनाया और आज इससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो जाती है।

बता दें कि बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रभात बिष्ट नें 2017 में बर्ड वाचिंग और गाइड के रूप में काम करना शुरू किया। 2019 तक लोग प्रभात को बर्ड वाचिंग के लिए जानने लगे थे। इन दो सालों में प्रभात नें उत्तराखंड में पायी जाने वाली लगभग सभी प्रजातियों के पक्षियों के बारे में जानकारी और उनकी आवाज़ को पहचानने में महारथ हासिल कर ली थी। इसमें सबसे ज्यादा सहयोग और प्रोत्साहन उन्हें शोधार्थी हिमानी नौटियाल, बर्ड वाचर यशपाल नेगी और हरीश मैठाणी से मिला। प्रभात बचपन से बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे हैं , प्रभात का सपना है की वह अपने पहाड़ों में रहकर ही रोजगार के अवसरों का सृजन करे। प्रभात को प्रकृति, पशु पक्षियों से बेहद लगाव और प्रेम है, साथ ही बर्ड वाचिंग और ट्रैकिंग के प्रति ऐसा जुनून की 10 वीं की कक्षा में पढ़ाई के दौरान महज 500 रूपये में ही एक बंगाली ट्रैकर को पांच दिनों का रूद्रनाथ ट्रैक करवाया। बंगाली ट्रैकर को सफलता पूर्वक ट्रैक करने के बाद प्रभात के सपनों और उम्मीदों को पंख लग गये थे। जिसके बाद प्रभात नें बर्ड वाचिंग और ट्रैकिंग को ही रोजगार का जरिया बनाया।

 

मंडल ग्रीन’ के जरिए मंडल घाटी को बर्ड वाचिंग के लिए विश्व के पर्यटन मानचित्र पर लाने की कोशिश

प्रभात बिष्ट अपनें ’मंडल ग्रीन’ बर्ड वाचिंग और ट्रैकिंग ऐंजेसी के जरिए जैव विविधता के खजाने मंडल घाटी को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर लाने की कयावद में जुटे हुये हैं। उनकी कोशिश है कि दुनिया के पक्षी प्रेमी मंडल घाटी पहुंचे। जिससे न केवल मंडल घाटी की पहचान बढेगी अपितु यहां के स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से सैकड़ों लोगों को भी रोजगार के अवसर सृजित होंगे। प्रभात नें अपनें घर में पक्षियों के लिए 10 घोंसले लगाए हुए हैं जिनमें गौरैया नें अपना आशियाना बनाया हुआ है। जबकि एक घोंसला ब्लू थ्रोटेड बार्बेट के लिए भी लगाया हुआ है। प्रभात को कई हिमालयी औषधियो के बारे में अच्छी जानकारी है। वह वनस्पति विज्ञान, वन्य जीव जंतुओं और पक्षियों पर शोध करने वाले शौधार्थियों के लिए चलते फिरते अनुसंधान संस्थान हैं। वे शौधार्थियों को सहयोग भी करते रहते हैं और उन्हें बहुमूल्य जानकारी भी देते हैं। प्रभात ने निम उत्तरकाशी से प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है।

 

बर्ड वाचिंग में रोजगार की असीमित संभावनाएं

बकौल प्रभात बिष्ट, बर्ड वाचिंग के जरिए चमोली में रोजगार के नयें अवसरों का सृजन हो सकता है। इस घाटी की जैव विवधता बेहद समृद्ध है। यहां बहुमूल्य वनस्पतियों के साथ साथ आर्किड की प्रजातियां मौजूद हैं। इनका वनस्पति जगत में वही स्थान है, जो जंतु जगत में बाघ का है। मंडल क्षेत्र में आर्किड की 50 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। इस घाटी में बड़े पैमाने पर आर्किड की बहुलता दर्शाती है कि यहां प्रकृति की सेहत दुरुस्त है। यही नहीं यह घाटी पक्षियों का मनमोहक संसार है जहां सैकड़ो प्रजाति के पक्षियों का बसेरा है। यदि एक सुनियोजित तरीके से मंडल घाटी को विकसित किया जाय तो यहां बर्ड वाचिंग, ट्रैकिंग, ईको टूरिज्म, मत्स्य पालन, धार्मिक पर्यटन, साहसिक पर्यटन, आर्किड पर्यटन की असीमित संभावनाएं हैं। उनका कहना है कि उनका मुख्य फोकस मंडल घाटी को बर्ड वाचिंग में नयी पहचान दिलाना है। वे चाहते है कि मंडल घाटी में राष्ट्रीय स्तर का बर्ड वाचिंग संस्थान खुले और लोग यहां पहुंचे जिससे यहां मिलने वाली दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण व वंश वृद्धि में भी मदद मिलेगी।

                   
                                                         

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!