देवाल (चमोली)। चमोली जिले के देवाल क्षेत्र में बहनें वाली सदाबहार नदियां अपने निर्मल और शुद्ध पानी के लिए प्रसिद्ध है।  जुलाई माह से पिंडर नदी का पानी में मिट्टी और गादयूक्त  आ रहा है। जिससे जलीय जीवों के जीवन पर संकट बना है।

जनपद चमोली और बागेश्वर की सीमा पर बसा कुंवारी गांव में वर्ष 2013 से भूस्खलन  हो  रहा। और गांव के नीचे से पानी निकल रहा है। भूस्खलन का मलवा और पानी शम्भू नदी में आ रहा जिसका पानी पिंडर में पहुंचे से नदी मटमैली हो रही है। कुंवरगढ में एक 10 मीटर  व्यास की झील भी बनी हुई हैं। पिछले वर्ष भी नदी इसी तरह जुलाई से नवम्बर माह  तक मिट्टी युक्त पानी बह रहा था। इस वर्ष भी  जुलाई से यह सिलसिला जारी है। हालांकि कुंवारी गांव को प्रशासन ने अन्य जगह बसा दिया है।

कुंवारी गांव में हो रहे भूस्खलन से पिंडर मैली हो गई है। वर्तमान में कुंवरगढ से  देवाल  50 किलोमीटर की दूरी पर कैल और पिंडर नदी का संगम है। यहां से नदी थराली नारायणबगड होते हुए 65 किलोमीटर दूर कर्णप्रयाग में  पिंडर और अलकनंदा नदी का संगम होता है। यहां पर भी नदी मटमैली नजर जा रही है। और इससे आगे भी इसी तरह से बह रही है। नदी के इस मटमैले होने के चलते जलीय जीवों का जीवन संकटमय बना हुआ है।

क्या कहते है अधिकारी

कुंवारी गांव  के पास एक बड़े  भू-भाग में भूस्खलन जोन बना है। मलवा और गंदा पानी पिंडर में जा रहा है। जलीय जीवों पर असर तो पड़ रहा है। लेकिन यह एक प्राकृतिक घटना है  जब भूस्खलन  थमेगा उसके बाद ही नदी साफ हो जाएगी।

सर्वेश कुमार दुबे, डीएफओ बद्रीनाथ वन प्रभाग गोपेश्वर चमोली।

 

लगातार पिंडर नदी में गंदा पानी आने से निश्चित ही जलीय जीवो पर असर पड़ रहा है। मछलियों के गलफड़ों में मिट्टी भर जाने से मरती है। प्रजनन में कमी आ रही है नदियों में

जलीय जीव और मछलियों की तादाद में कभी कमी आ रही है।

जगदम्बा प्रसाद राज, प्रभारी जिला मत्स्य अधिकारी गोपेश्वर।

 

क्या कहते है जनप्रतिनिधि

कुंवारी गांव में पिछले एक दशक से लगातार भूस्खलन होने से गांव के अधिकांश आवासीय मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। गांव में 30 परिवारों में अधिकांश परिवारों को विस्थापित कर दिया गया है। भूस्खलन का मलबा नदी में जा रहा है। यह एक प्राकृतिक घटना है जो कुछ समय बाद स्वत ही नदी साफ हो जाएगी।

धर्मा देवी, ग्राम प्रधान कुंवारी।

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