देवाल (चमोली)। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक) संस्थान ने चमोली जिले के देवाल ब्लॉक के  हिमनी गांव में शनिवार को काश्तकारों को दुर्लभ जड़ी-बूटी जटामांसी और अतिश के दो हजार पौधों का वितरण किया। ग्रामीणों को जड़ी-बूटी का कृषिकरण का प्रशिक्षण भी दिया गया। 

संस्थान के निदेशक डा. विजय कांत पुरोहित के दिशा निर्देश में तुंगनाथ से दुर्लभ जटामांसी एवं अतिश की दो हजार से अधिक पौध उपलब्ध कराई गई। उन्होंने कहा कि जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए उनका कृषिकरण जरूरी है। जिसमे जटामांसी और अतिश दुर्लभ होने के साथ बाजार भाव में अच्छी कीमत रखती है। उन्होंने कहा कि इसके कृषिकरण से दुर्लभ जड़ी बूटियों का संरक्षण तो होगा ही साथ ही काश्तकारों को इससे आर्थिक लाभ भी मिलेगा। इस मौके पर महिपाल सिंह, रूप सिंह, डा. राजीव रंजन, डा.जयदेव चौहान, मुकेश करासी, जगदीश सिंह बेजवाल, दीपिका, वन आरक्षी आनंद पटाकी, गोविंद रावत, राजेंद्र शाह आदि मौजूद थे।

 

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